
विवेक तिवारी हत्याकांड की इकलौती चश्मदीद सना खान ने अपनी जान को खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि जब तक मामले के आरोपी प्रशांत चौधरी और संदीप को सजा नहीं मिल जाती है, तब तक उनकी जान को खतरा बना रहेगा. वहीं, मंगलवार को एसआईटी की टीम सना के घर पहुंची और उनका बयान दर्ज किया. इस बीच आईजी सुजीत पांडेय भी मौजूद रहे.
इससे पहले सना ने खुलासा किया कि गोली लगने के बाद भी विवेक तिवारी की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते उनको नहीं बचाया जा सका. सना के मुताबिक गोली लगने के करीब डेढ़ घंटे तक विवेक जिंदा थे. अगर उनको समय पर इलाज मिल जाता, तो वो बच सकते थे. सना ने कहा कि विवेक घायल होकर भी करीब सौ मीटर तक अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ गए थे और फिर एक पोल से टकराकर गाड़ी रुक गई थी. गाड़ी में विवेक तड़प रहे थे, उसका फोन लॉक था.
इसके बाद सना गाड़ी से नीचे उतरी और एक ट्रक को रुकने के लिए कहा. महिला को परेशान देख ट्रक वाला रुक गया था. फिर सना ने ट्रक वाले के मोबाइल से पुलिस को फोन किया था. पुलिस ने आने में भी करीब पंद्रह मिनट का वक्त लिया था. पुलिसवालों ने आकर भी वक्त जाया किया था और एंबुलेंस का इंतजार करती रही. इस दौरान सना पुलिसवालों से गुहार लगाती रही कि वो अपनी जीप से विवेक को अस्पताल ले चलें, लेकिन उनकी कोई नहीं सुना था.
सना ने बताया कि जब काफी देर तक एंबुलेंस नहीं आई, तो पुलिस ने जीप में डालकर विवेक को लोहिया अस्पताल पहुंचाया था. मगर अफसोस ये कि इतने बड़े अस्पताल में कोई देखने सुनने वाला कोई नहीं था. न वहां स्ट्रेचर था और न ही डॉक्टर. सना के मुताबिक ऐसा लगता रहा था कि सबने ठान ही ली थी कि विवेक तिवारी को अब जिंदा नहीं रहना है, देखते देखते एक घंटा गुज़र गया. बता दें कि विवेक की हत्या के मामले में आरोपी दो पुलिसकर्मियों प्रशांत चौधरी और संदीप को जेल भेज दिया गया है. इनको नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया है.