भारत सरकार और फ्रांस के बीच राफेल मरीन फाइटर जेट (Rafale Marine Fighter Jet/ Rafale M) की डील होने वाली है. फ्रांस के अधिकारी भारत आ चुके हैं. 50 हजार करोड़ रुपए की इस डील से भारत को 26 राफेल एम फाइटर जेट मिलेंगे. यह बातचीत 30 मई 2024 को होने की संभावना है. (फोटोः गेटी)
फ्रांस की तरफ से आए अधिकारी भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिलेंगे. नेगोसिएशन शुरू होंगे. डील पक्की होने के बाद फ्रांस 26 राफेल एम फाइटर जेट भारत को देगा. जिन्हें INS Vikrant और INS Vikramaditya पर तैनात किया जाएगा. फ्रांस ने इसके लिए जारी टेंडर के हिसाब से पिछले साल दिसंबर में ही अप्लाई किया था. (फोटोः AFP)
इस फाइटर जेट के आने के बाद भारतीय विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात MiG-29K फाइटर जेट्स को सपोर्ट मिलेगा. उन पर मौजूद प्रेशर कम होगा. भारत इस डील में फ्रांस से 22 सिंगल सीटर फाइटर जेट और चार डबल सीटर फाइटर जेट खरीदेगा. डबल सीटर फाइटर जेट ट्रेनिंग के लिए काम आएंगे. (फोटोः गेटी)
Rafale-M एक मल्टीरोल फाइटर जेट है. दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट तैनात हैं. पहला जे-10, दूसरा जे-15 और तीसरा सुखोई-30. (फोटोः एएफपी)
तीनों से राफेल की तुलना समझिए. जे-10 जेट 55.5 फीट लंबा, जे-15 जेट 73.1 फीट और सुखोई-30 जेट 72 फीट लंबा है. जबकि राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. चीन का जे-10 फाइटर जेट को एक पायलट, जे-15 को 1 या 2 और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं. (फोटोः एएफपी)
राफेल को 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. जे-10 का कुल वजन 14 हजार KG, जे-15 का 27 हजार KG और सुखोई-30 का 24,900 kg है. जबकि, राफेल का सिर्फ 15 हजार kg है. यानी हल्का है. (फोटोः एएफपी)
चीन के जे-10 में 8950 लीटर की इंटर्नल फ्यूल कैपेसिटी है. जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर फ्यूल कैपेसिटी है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 kg है. यानी सभी फाइटर जेट से ज्यादा देर फ्लाई कर सकता है. ज्यादा देर तक डॉग फाइट में भाग ले सकता है. (फोटोः एएफपी)
जे-10 की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जे-15 की मैक्सिमम स्पीड 2963 km/hr है. सुखोई-30 की अधिकतम रफ्तार 2120 km/hr है. जबकि, राफेल-एम की अधिकतम गति 2205 km/hrहै. यानी जे-15 से कमजोर लेकिन सुखोई से ऊपर और जे-10 के बराबर. (फोटोः एएफपी)
जे-10 की रेंज 1240 km, जे-15 की 3500 और सुखोई-30 की 3000 km है. जबकि, राफेल-एम की रेंज 3700 km है. जे-10 अधिकतम 59 हजार फीट, जे-15 फाइटर जेट 66 हजार फीट और सुखोई-30 करीब 57 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. जबकि राफेल-एम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. (फोटोः एएफपी)
चीन के जे-10 फाइटर जेट में 11 हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी चार तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, 90 मिलिमीटर के अनगाइडेड रॉकेट्स, 23 mm की गन और चार तरह के बम लगा सकते हैं. जे-15 फाइटर जेट में 12 हार्डप्वाइंट्स हैं. जिनमें 9 तरीके के हथियार लगा सकते हैं. इसमें 30 mm की गन होती है. (फोटोः गेटी)
सुखोई-30 में 12 हार्डप्वाइंट्स हैं. तीन तरह के रॉकेट्स, चार तरह की मिसाइलें और 9 तरह के बम या इनका मिश्रण लगा सकते हैं. इसमें 30 mm की गन है. जबकि, राफेल-एम में 30 mm की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं. (फोटोः गेटी)