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1971 की जंग क्यों भारत की ही विजय थी... भारतीय वीरता के देखें 10 सबूत

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST
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1971 की जंग... पश्चिमी पाकिस्तान हो या पूर्वी पाकिस्तान. दोनों ही जगहों पर हमारी सेनाओं ने मिलकर पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाई थीं. इतने और ऐसे हमले किए कि 93 हजार सैनिकों के साथ जनरल नियाजी ने सरेंडर कर दिया. हर छोटी-बड़ी लड़ाई में हमारे वीरों ने अदम्य साहस का परिचय दिया. (फोटोः X)

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सैन्य रणनीति... भारतीय सेना ने एक योजना के साथ पाकिस्तानी सेना पर हमला किया, जिसमें तीनों सेनाओं - थलसेना, वायुसेना और नौसेना का समन्वय था. 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी लड़ाकुओं ने भारत के उत्तर, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम के 9 एयरबेस बम से उड़ा दिए थे. इसके बाद काउंटर की रणनीति बनाई गई.  (फोटोः IAF MCC)

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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम... भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया, जिससे पाकिस्तानी सेना को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ा. अक्टूबर में भारतीय सैनिकों ने गरीबपुर में दो पाकिस्तानी फाइटर जेट्स को मार गिराया था. इस जगह हो रहे युद्ध को इतिहास में बोयरा की जंग (Battle of Boyra) के नाम से पुकारते हैं. मुक्तिवाहिनी भारतीय सेना के साथ थी. इसलिए पाकिस्तान कमजोर पड़ रहा था. (फोटोः IAF MCC)

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पाकिस्तानी सेना की कमजोरियां... पाकिस्तानी सेना की कमजोरियों का फायदा उठाकर भारतीय सेना ने अपनी रणनीति बनाई, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण सफलता मिली. पूर्वी सीमा पर इंडियन एयरफोर्स ने 1978 सॉर्टीज लगाए गए. पूरे 1971 युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना ने 80% सफलता दर के साथ पाकिस्तान की हालत पस्त कर दी. पश्चिमी सीमा पर वायुसेना ने पाकिस्तान को गूंगा-बहरा और अपंग बना दिया था. उसके सारे कम्यूनेकिशन सिस्टम तबाह कर दिए थे. ईंधन डिपो और हथियारों के गोदामों को उड़ा दिया गया था. (फोटोः IAF MCC)

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भारतीय सेना की एकता और संगठन... भारतीय सेना की एकता और संगठन ने उन्हें एक मजबूत और प्रभावी बल बनाया, जो पाकिस्तानी सेना का सामना करने में सक्षम था. सेना ने जहां लोंगेवाला जैसी लड़ाइयां लड़ी. एयरफोर्स ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हवाई हमले किए. नौसेना ने तो कराची को जला ही दिया था. (फोटोः IAF)

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वायुसेना और नौसेना की भूमिका... भारतीय वायुसेना और नौसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे पाकिस्तानी सेना को कई मोर्चों पर लड़ना पड़ा. 1971 के युद्ध के अंत में जब लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाले. तब एक सीनियर IAF अधिकारी ने पूछा कि आपने सरेंडर क्यों किया? नियाजी ने अधिकारी की वर्दी पर लगे विंग्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि तुम्हारी वजह से, भारतीय वायुसेना की वजह से. (फोटोः X)

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पाकिस्तानी सेना की गलतियां... पाकिस्तानी सेना ने कई गलतियां कीं, जैसे कि उनकी सेना की कमजोर तैयारी और उनके नेतृत्व की कमजोरी. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के पूर्वी एयरफील्ड्स यानी बांग्लादेश के तेजगांव और कुर्मीटोला एयरबेस पर हमला किया. वहां भी पाकिस्तानी एयरफोर्स का कब्जा था. इन हमलों से पाकिस्तानी वायुसेना और सरकार की धज्जियां उड़ गईं.  (फोटोः IAF MCC)

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भारतीय सेना की तैयारी... भारतीय सेना ने अच्छी तैयारी की थी, जिससे उन्हें पाकिस्तानी सेना का सामना करने में मदद मिली. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 8 एयरबेस पर हमला किया. ये थे - मुरीद, मियानवाली, सरगोधा, चंधार, रिसालेवाला, रफीकी और मसरूर. 3 दिसंबर 1971 की रात भारतीय वायुसेना ने 23 लड़ाकू सॉर्टीज पाकिस्तान में की. सरगोधा और मसरूर एयरबेस तो कब्रिस्तान में तब्दील हो चुका था. (फोटोः गेटी)
 

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अंतरराष्ट्रीय समर्थन... भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला, जिससे उन्हें पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ने में मदद मिली. भारत को सबसे बड़ा समर्थन उस समय रूस की तरफ से मिला था, यानी सोवियत संघ की तरफ से. सोवियत संघ सेना की इंटेलिजेंस और सैन्य तैनाती में हर संभव मदद कर रही थी. (फोटोः IAF)

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पाकिस्तानी सेना के कमान की कमजोरी... पाकिस्तानी सेना की कमान की कमजोरी ने उन्हें भारतीय सेना के खिलाफ लड़ने में कमजोर बनाया. भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने अगले दो हफ्तों में देश के पश्चिमी इलाकों में 4 हजार सॉर्टीज लगाए. ये सॉर्टीज जम्मू, कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में लगाए गए. ताकि पाकिस्तान फिर हमला न कर सके. क्योंकि पाकिस्तान की पलटकर हमला करने की आदत है. (फोटोः IAF)

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भारतीय सेना की नैतिक जीत... भारतीय सेना की नैतिक जीत ने उन्हें पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ने में मदद मिली, क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और जनरल भारत का जो पश्चिमी हिस्सा लेना चाहते थे. वो मंशा पूरी नहीं हुई. बदले में उनके यहां पर भारतीय फाइटर पायलट्स ने जो आग बरसाई, उससे उनकी रूह कांप गई. (फोटोः IAF MCC)

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