
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force - IAF) ने अस्त्रशक्ति-2023 युद्धाभ्यास के दौरान सूर्यलंका एयरफोर्स स्टेशन पर नई मिसाइल का परीक्षण किया. यह एक हवाई सुरक्षा प्रदान करने वाली मिसाइल है. यानी एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम. इसका नाम है SAMAR एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम.
SAMAR का पूरा नाम है- सरफेस-टू-एयर मिसाइल फॉर एस्योर्ड रीटैलिएशन (Surface-to-air missile for Assured Retaliation). इस मिसाइल सिस्टम का संचालन वायुसेना की BRD यूनिट करती है. समर मिसाइल का पहली बार किसी युद्धाभ्यास के दौरान टेस्ट फ्लाइट कराया गया. जहां इसने सटीकता से टारगेट पर हमला किया.
यह किसी भी तरह के हवाई टारगेट यानी हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकता है. यह अधिकतम 2982 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की ओर बढ़ता है. इसके लॉन्चर पर दो मिसाइलों को लगाने की व्यवस्था है. इस मिसाइल की रेंज 12 से 40 km है.
दो तरह की मिसाइलें, दो रेंज पर हमला
समर एयर डिफेंस सिस्टम में दो तरह की मिसाइलें लगती हैं. SAMAR 1. यह एक कम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे भारत में बदल कर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका वजन 105 kg, लंबाई 9.7 फीट, व्यास 6.5 इंच और इसमें 7.4 kg का वॉरहेड लगता है.
समर-2 पहले वैरिएंट से ज्यादा भारी
SAMAR 2 यानी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल. ये 253 kg वजनी मिसाइल है. यह 13.4 फीट लंबी है. इसका व्यास 9.1 इंच है. इसमें पंखें लगे होते हैं. जिनका विंगस्पैन 30.4 इंच है. इसमें 39 kg का वॉरहेड लगा सकते हैं. जो ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन या कॉन्टीन्यूअस रॉड हो सकता है.
दोनों मिसाइलों के लॉन्चिंग ट्रक भी अलग
इन मिसाइलों को दागने वाले लॉन्च ट्रक भी अलग-अलग हैं. समर-1 के लिए अशोक लीलैंड स्टैलियन 4x4 ट्रक लगता है. जबकि समर-2 मिसाइलों को दागने के लिए बीईएमएल टाट्रा टी815 8x8 ट्रक लगता है. इसमें लगने वाली मिसाइलें असल में रूस की हैं. जिन्हें भारत में बदला गया है. ये मिसाइलें हैं- Vympel R-73 और R-27 मिसाइलें.
ड्रोन हो या हेलिकॉप्टर... टारगेट होगा खत्म
ये मिसाइलें इंफ्रारेड गाइडेड एयर-टू-एयर मिसाइलों का अपग्रेडेड वर्जन हैं. जिन्हें बदल कर शॉर्ट रेंज की सरफेस-टू-एयर मिसाइलों में बदल दिया गया है. ये हथियार बिना किसी झंझट के ड्रोन, यूएवी, हेलिकॉप्टर और फाइटर जेट्स पर हमला कर सकती है. भारतीय वायुसेना के पास हजारों की संख्या में Vympel R-73E मिसाइलें हैं.