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दुश्मन की परमाणु पनडुब्बियों के खिलाफ रूस का बड़ा एक्शन, तैनात कर रहा खतरनाक विमान

दुश्मन देशों की परमाणु पनडुब्बियों को खोजने के लिए Russia ने अपने सबसे शानदार विमान को तैनात करने का फैसला किया है. ये विमान रूस के आर्कटिक रीजन से जुड़े उत्तरी रूट के आसपास की निगरानी करेगा. ताकि वह दुश्मन देशों की परमाणु पनडुब्बियों को खोज सके. फिर उन्हें अपनी समुद्री सीमा से दूर भगा सके.

ये है रूस का समुद्री टोही विमान टीयू-142, जो समंदर में किसी भी तरह की वस्तु को खोजने में माहिर है. (फोटोः गेटी) ये है रूस का समुद्री टोही विमान टीयू-142, जो समंदर में किसी भी तरह की वस्तु को खोजने में माहिर है. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 14 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

रूस ने प्लान बनाया है कि वह अपने उत्तरी तट (Northern Sea Route) के ऊपर लंबी दूरी का एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट तैनात करने जा रहा है. ताकि दुश्मन की संभावित हमलावर परमाणु पनडुब्बियों को खोज सके. इस एयरक्राफ्ट का नाम है तुपोलेव टीयू-142 एयरक्राफ्ट (Tupolev Tu-142 Aircraft). 

रूस इसे लेकर अपने उत्तरी इलाके के समंदर के आसपास एक मिलिट्री ड्रिल करने जा रहा है. जिसमें यह विमान शामिल हो रहा है. यह एयरक्राफ्ट रूस के आर्कटिक रीजन के आसपास सर्विलांस करेगा. ये विमान अपनी लंबी दूरी की उड़ान क्षमता के लिए जाने जाते हैं. इसकी अधिकतम उड़ान रेंज 5 हजार किलोमीटर से ज्यादा है. 

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इस तरह की रेंज रखने वाले विमान के लिए समंदर में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं होता. यह आसमान में उड़ान भरते हुए भी समंदर की गहराइयों में मौजूद हमलावर परमाणु पनडुब्बी खोज लेता है. ताकि रूस अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा कर सके. उन पनडुब्बियों को उनके इलाके से दूर भगा सके. 

सिर्फ पनडुब्बियां ही नहीं, सबकुछ खोजता है

यह विमान सिर्फ पनडुब्बियां ही नहीं खोजता बल्कि समंदर में मौजूद किसी भी तरह की वस्तु को खोजकर यह बता सकता है कि वह किसी तरह का जहाज, ड्रोन, अंडरवाटर व्हीकल, जंगी जहाज या कुछ और है. सिर्फ निगरानी ही नहीं बल्कि यह विमान आर्कटिक क्षेत्र में किसी भी तरह की इमरजेंसी सिचुएशन में भी मददगार साबित हो सकता है. 

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तैनाती बेहद रणनीतिक जगहों पर की जा रही है

इस विमान को रूस के वोलोग्दा और कोला प्रायद्वीप में तैनात किया जाएगा. ताकि दो विमान लगातार उत्तरी रूट के सर्विलांस का काम सही से कर सकें. रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह विमान सिर्फ इसलिए उड़ाया जा रहा है, ताकि दुश्मन देश किसी भी तरह गलत दावा नहीं कर सकें. न ही किसी तरह की गलत हरकत करने की कोशिश करें. 

आइए जानते हैं इस विमान की खासियत... 

इस विमान को तुपोलेव कंपनी बनाती है. इसकी पहली उड़ान 18 जुलाई 1968 में हुई थी. अब इसका निर्माण नहीं होता. रूसी नौसेना इसका इस्तेमाल करती है. पहले भारतीय नौसेना (Indian Navy) और सोवियत नौसेना करती थीं. 1968 से 1994 तक कुल मिलाकर 100 Tu-142 विमान बनाए गए थे. 

इस विमान में 11 से 13 क्रू मेंबर होते हैं. 174.2 फीट लंबे इस विमान का विंगस्पैन 164.1 फीट है. 39.9 फीट ऊंचे विमान का अधिकतम टेकऑफ वजन 1.85 लाख किलोग्राम है. यह अधिकतम 925 km/hr की गति से उड़ान भर सकता है. आमतौर पर 711 km/hr की स्पीड से ही उड़ान भरता है. वैसे इसकी कॉम्बैट रेंज 6500 किलोमीटर है. अधिकतम 39 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. 

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