दिल्ली में नर्सरी दाखिले की दौड़ शुरू हो चुकी है. पेरेंट्स के लिए दिल्ली के टॉप पब्लिक स्कूलों में बच्चों का नर्सरी दाखिला एक सपने जैसा होता है. स्कूलों में एडमिशन के लिए लंबी कतार होती है, एक एक सीट पर कई कई दावेदार होते हैं. स्कूलों को दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से तय मानदंडों पर दाखिला देना होता है. स्कूल सिबलिंग, घर से स्कूल की दूरी आदि बिंदुओं पर प्वाइंट देते हैं, प्वाइंट मतलब दाखिले में ऐसे छात्रों को वरीयता मिलती है जिनके नंबर इन प्वाइंट्स पर ज्यादा हों. लेकिन कई स्कूल अजीबोगरीब चीजों पर प्वाइंट देते हैं जो कि पूरी तरह से निषेध हैं. आइए दाखिला मामलों के विशेषज्ञ सुमित वोहरा से जानते हैं कि स्कूल किन 10 चीजों पर प्वाइंट नहीं दे सकते और दाखिले के लिए क्या डिमांड नहीं कर सकते.
कुछ स्कूल इंटर स्टेट ट्रांसफर के नाम पर भी प्वाइंट दे देते हैं जबकि साल 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटर स्टेट ट्रांसफर प्वाइंट सिस्टम को खत्म करने का आदेश दिया था. इसके बाद स्कूलों को इंटर स्टेट ट्रांसफर प्वाइंट देने का अधिकार नहीं है.
नहीं पूछ सकते पेरेंट्स एजुकेशन
कई स्कूल फॉर्म में पेरेंट्स की एजुकेशन पूछते हैं, सिर्फ इतना ही नहीं ऐसा भी देखा गया है कि स्कूल पेरेंट्स एजुकेशन के नाम पर प्वाइंट भी देते हैं. इसमें जिनके माता पिता अधिक पढ़े लिखे हैं, उन्हें अधिक प्वाइंट मिल जाते हैं. सुमितवोहरा कहते हैं कि शिक्षा निदेशालय के नियमों के मुताबिक कोई भी स्कूल पेरेंट्स की शिक्षा के आधार पर दाखिले को वरीयता नहीं दे सकता.
ओरल टेस्ट नहीं ले सकते स्कूल
सुमित वोहरा कहते हैं कि कोई भी स्कूल दाखिले के लिए छात्र का किसी भी तरह का टेस्ट नहीं सकता. न ही अभिभावकों का इंटरव्यू या अंग्रेजी बोलने को वरीयता दे सकता है. अगर कोई स्कूल अभिभावकों पर इस तरह का दबाव डालता है तो ये सरकार के दाखिला नियमों के एकदम विपरीत है.
वेजिटेरियन या ज्वाइंट फैमिली के प्वाइंट नहीं दे सकते
कई स्कूल ऐसे बच्चों का दाखिला लेने में रुचि दिखाते हैं जो ज्वाइंट फैमिली में रहते हों. सुमित वोहरा कहते हैं कि बीते सालों में ऐसा देखा गया है कि कई स्कूल ज्वाइंट फैमिली के प्वाइंट भी देते हैं. वहीं कई स्कूल जो माइनारिटीज कम्यूनिटी के हैं, उन्हें वहां वेजिटेरियन को भी प्वाइंट दिए जाने की शिकायतें आई हैं. स्कूल किसी भी हाल में ऐसी चीजों पर प्वाइंट नहीं दे सकते जो बच्चों में विभेद की भावना लाए.
फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व का फार्मूला नहीं होगा लागू
कई स्कूल फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व यानी कि पहले आओ पहले पाओ वाली पॉलिसी पर सीटें देते हैं. वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टॉफ के प्वाइंट भी स्कूल नहीं दे सकते. स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से ऐसे 50 बिंदुओं की लिस्ट भी जारी होगी जिनके आधार पर स्कूल अपने प्वाइंट तय नहीं कर सकते. बता दें कि स्कूलों को 100 नंबर देकर एडमिशन देने का अधिकार दिया गया था, जिसके आधार पर एडमिशन दिए जाते रहे हैं.
बच्चे की एज या सोशल नोबल कॉज के प्वाइंट नहीं दे सकते
स्कूल अगर बच्चे की कम एज होने पर प्वाइंट दे रहा है तो ये भी मानक के अनुरूप नहीं है. स्कूल बच्चों की एज के आधार पर उन्हें दाखिले में वरीयता नहीं दे सकते. इसके अलावा कई स्कूल अभिभावकों के अवार्ड या उनके किसी बड़े सोशल नोबल कॉज से जुड़े होने पर भी नंबर दे देते हैं जोकि कतई मानक के अनुरूप नहीं है.