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मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ होता है मुर्दों का टीला. दक्षिण एशिया में बसे इस शहर को दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शुमार किया जाता है. जब दुनिया में यूनान-लेबनॉन और यूरोप की सभ्यताएं जन्मीं भी नहीं थीं. तब वर्तमान पाकिस्तान के सिंध में 2600 BC के आस-पास इसका निर्माण हुआ था.
खुदाई के दौरान इस शहर में बड़ी बड़ी इमारतें, व्यवस्थित सड़के व नालियां, जल कुंड, सुंदर चित्रकारी, मिट्टी व धातु के बर्तन, मुद्राएं, ईंट, तराशे हुए पत्थर और इसके अलावा ढेर सारी चीजें मिलीं. उनकी सभ्यता में धर्म का पक्ष भी अत्यन्त मजबूत प्रतीत होता है.
इसे लेकर इन दिनों एक फिल्म बन रही है जिसमें बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता रितिक रोशन अहम किरदार निभा रहे हैं. इस फिल्म के जारी पोस्टर्स में अभिनेत्री को अधिक गोरा और पंख के आभूषणों से लदा दिखाया गया है. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर खासा बवाल हो रहा है. हालांकि साल 1980 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया.
'मोहनजोदड़ो' एक फिल्म...
इस सभ्यता के दो प्रमुख शहरों के तौर पर हड़प्पा व कालीबंगा को शुमार किया जाता है. मोहनजोदड़ो इन सबमें सबसे बड़ा और व्यवस्थित शहर है. वहां मिले अवशेषों में नर्तकी की मूर्ति व पशुपति शिव की मुहर शामिल है. इसके साथ ही यहां का विशाल स्नानागार भी पुरातत्वविदों के लिए कौतूहल का विषय रहा है.
मोहनजोदड़ो है शोध का विषय...
देश-दुनिया के तमाम शोधकर्ता इस बात से स्तब्ध रहते हैं कि कैसे एक जीती जागती सभ्यता लुप्त हो गई और इसे बाद में किसने खोजा. इन दोनों सवालों के जवाब भी अलग-अलग हैं. सरकारी भाषा में कहें तो साल 1922 में राखलदास बनर्जी व दयाराम साहनी की अगुआई में मोहनजोदड़ो व हड़प्पा में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष खोजे गए. इस खुदाई से लगभग 4600 वर्ष पूर्व की प्राचीन सभ्यता का पता चला. वहीं कुछ अन्य विशेषज्ञों के अनुसार सिंधु घाटी नामक इस उन्नत सभ्यता की पहली खोज कालीबंगा में 1914 में इटली के एलपी तैस्सितोरी ने की थी. सिंध में मोहनजोदड़ो की खुदाई साल 1922 में हुई थी.