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एक तेंदुलकर जिसका बल्‍ला नहीं कलम बोलती थी...

विजय तेंदुलकर को पूरा देश एक ऐसी शख्सियत के तौर पर जानता है जो ऐसे नाटक और संवाद लिखता था कि दर्शक उन्हें देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते थे. राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित यह लेखक आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह गया था.

Vijay Tendulkar Vijay Tendulkar
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2016,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

तेंदुलकर शब्द जेहन में आते ही हमारे सामने सचिन तेंदुलकर का अक्स उभरता है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि विजय तेंदुलकर एक ऐसी मशहूर शख्सियत है, जिन्‍हें लीक से हटकर लिखने वाला लेखक, नाटककार और पटकथा लेखक के तौर पर याद किया जाता है. साल 2008 में 19 मई के रोज ही उनका निधन हो गया था.

उनका कहना था कि जब आप अच्छा-बुरा, सही-गलत जैसी चीजों में फंस जाते हैं तब आपमें असली सच देखने की क्षमता खत्म हो जाती है.

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1. उन्होंने 11 हिंदी फिल्में लिखीं जिनमें आक्रोश, अर्धसत्य और 8 मराठी फिल्में शामिल थीं.

2. उनका लिखा घासीराम कोतवाल भारतीय इतिहास का सबसे लंबा चलने वाला नाटक था. इस नाटक का मंचन पूरी दुनिया में 6,000 से ज्यादा बार किया जा चुका है.

3. श्याम बेनेगल की फिल्म मंथन के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था.

4. साल 1984 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.

5. उनके यादगार नाटकों में सन्नाटा! कोर्ट चालू आहे(1967), घासीराम कोतलवाल(1972) और सखाराम बिंडर(1972) शुमार हैं.

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