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जब काकोरी कांड की वजह से अंग्रेजों में हड़कंप मच गया...

आजादी के आंदोलन में काकोरी कांड को हमेशा एक ऐसी घटना के तौर पर जाना जाएगा, जिसने एक ही झटके में अंग्रेजों की नींव हिला दी. यह घटना साल 1925 में 9 अगस्त के रोज हुई थी.

Kakori Kakori
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

ब्रितानी शासकों के चंगुल से बाहर आने के लिए हमारे देश के कई लड़ाकों ने अपनी जान गंवाई. इस क्रम में वे कई बार अंग्रेजों पर लुक-छिप कर तो कभी आमने-सामने भिड़ते रहे. एक ऐसी ही भिड़ंत के रूप में काकोरी की घटना को भी जाना जाता है. इसे जंग-ए-आजादी की सबसे अहम घटना के तौर पर शुमार किया जाता है. इस घटना को अंजाम देने वालों में चंद्रशेखर आजाद और उनके साथी थे. उन्होंने काकोरी कांड को साल 1925 में 9 अगस्त के रोज ही अंजाम दिया था.

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1. शाहजहांपुर से लखनऊ जा रही नंबर 8 डाउन ट्रेन को लूटा गया, ताकि ब्रिटिश सरकार के खजाने में सेंध लगाई जा सके.

2. उन्होंने कुल 8000 रुपये ट्रेन से लूटे.

3. राम प्रसाद बिस्मिल. अशफाकुल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, सचिंद्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, मनमठनाथ गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता, मुकुंदी लाल गुप्ता और बनवारी लाल.

4. इस घटना में गलती से गोली चल गई और इस क्रम में एक शख्स की जान जाती रही. इस घटना में एक भी हिंदुस्तानी को नहीं छुआ गया.

5. इस हमले के आरोपियों में से बिस्मिल, ठाकुर, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और अशफाकुल्ला खान को फांसी की सजा हो गई और सचिंद्र सान्याल और सचिंद्र बख्शी को कालापानी की सजा दी गई.

6. बाकी क्रांतिकारियों को 4 साल से 14 साल तक की सजा सुनाई गई.

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