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देश की इन यूनिवर्सिटीज में लागू होगी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, क्या-कुछ बदल जाएगा?

हमारे जमाने की पढ़ाई ऐसी थी...देश की टॉप यूनिवर्सिटी से डिग्री ले चुके लोग अब खुलकर नये जमाने के बच्चों से ये वाक्य बोल सकते हैं. अब यूनिवर्सिटीज में नये बदलाव जो होने जा रहे हैं. उसके पीछे वजह है राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति 2020, अब ये अन‍िवार्य रूप से लागू होने जा रही है. जानिए- इससे क्या कुछ बदल जाएगा.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 05 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति 2020 (NEP) उच्चश‍िक्षा के तौर तरीकों को पूरी तरह बदलकर इसे नये आयाम देने को तैयार है. अब नये शैक्षण‍िक सत्र 2023-24 से एनईपी देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों (Central Universities) में अनिवार्य रूप लागू होने जा रही है. 

इसके लागू होने से स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम की पढ़ाई में कई तरह के बदलाव आएंगे. इसमें दोनों प्रोग्राम्स में  मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम लागू तो होगा ही साथ ही मूल्यांकन के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भी बनेगी. इसके अलावा देश में रहते हुए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई और वोकेशनल कोर्स करने के अवसर सामने होंगे. 

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आगामी शैक्षणिक सत्र से एनईपी अनिवार्य रूप से लागू हो रही है. नई श‍िक्षा नीति के अनुसार ही स्नातक प्रोग्राम के पहले वर्ष में सीयूईटी यूजी-2023 की मेरिट स्कोर के आधार पर दाख‍िले लिए जा रहे हैं. 

लागू होगा फोर इयर प्रोग्राम 
इस नये सत्र से एनईपी लागू होने के साथ ही बहु प्रतीक्ष‍ित चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम लागू होगा. छात्र एक बार कॉलेज में एडमिशन के बाद पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, दूसरे साल में सर्टिफिकेट और तीसरे साल में डिग्री दी जाएगी. इसके अलावा मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम के तहत एक छात्र को अपने पाठ्यक्रम को छोड़ने और इसे बाद के चरण में फिर से शुरू करने का विकल्प मिलेगा, जब वे चाहें. 

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डुअल डिग्री प्रोग्राम 
अब  डुअल डिग्री प्रोग्राम के अंतर्गत एक साथ दो डिग्री की पढ़ाई के साथ इंटर्नशिप, रिसर्च कर सकेंगे. छात्रों को सामाजिक सरोकार, भारतीय परंपरा व संस्कृति से जोड़ने के लिए उसके अनुरूप वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई होगी. अब सभी विश्वविद्यालयों को अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी)के लिए पंजीकरण करना जरूरी होगा और छात्रों को भी इसकी जानकारी देनी होगी. विश्वविद्यालयों को अपनी वेबसाइट पर एबीसी की जानकारी अपलोड भी करनी पड़ेगी. 

ऑनलाइन कोर्स भी जरूरी  
छात्रों को डिग्री प्रोग्राम में कोर्स, माध्यम चुनने की आजादी होगी. इसमें डिस्टेंस लर्निंग मोड, ऑनलाइन डिग्री शामिल होंगे. विश्वविद्यालयों को छात्रों को ऑनलाइन कोर्सेज से जोड़ने के लिए उसी तरह से कार्य करना होगा. 

स्नातक में जरूरी होगी इंटर्नशिप
स्नातक प्रोग्राम के छात्रों को अब रोजगारपरक श‍िक्षा से सीधे जोड़ने की तैयारी है. इसके लिए अब स्नातक के साथ ही 
इंटर्नशिप अनिवार्य होगी. इसमें छात्रों को किताबी और मार्केट डिमांड के आधार पर कौशल विकास के साथ प्रशिक्षण मिलेगा. इसके अलावा छात्रों को फील्ड में जाकर कम्यूनिटी आउटरीच और प्रोजेक्ट पर काम करना होगा. उद्योगों के साथ मिलकर इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाए जा सकते हैं. इसके अलावा रिसर्च क्षेत्र में इंटर्नशिप शुरू की जाएगी. यह दो शिक्षण संस्थान मिलकर कर सकते हैं. इसके लिए एडवांस रिसर्च सेंटर खोले जाएंगे. 

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मेंटल हेल्थ का रखा जाएगा ध्यान 
छात्रों को श‍िक्षा के साथ साथ मानसिक तौर पर एक बेहतर व्यक्त‍ित्व निर्माण के लिए तनाव दूर करने वाले योग, ध्यान, पर्सनल डेवलेपमेंट आदि पर काम होगा. छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ अपनी मेंटल हेल्थ काउंसिलिंग के लिए विशेष सुविधाएं दी जाएंगी. 

 

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