
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पिछले दिनों स्कूल में छात्रा द्वारा सुसाइड किए जाने के मामले को लेकर प्रिंसिपल और स्कूल के टीचर की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश की निजी विद्यालय आज हड़ताल पर हैं. आजमगढ़ में संबंधित विद्यालय की प्रिंसिपल और टीचर की गिरफ्तारी के विरोध में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी जिला विद्यालय प्रबंधक संघ के बैनर तले निजी विद्यालयों के प्रबंधकों और अध्यापकों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया.
इस दौरान सैकड़ो की तादाद में प्रबंधक और अध्यापक एकजुट होकर जिला मुख्यालय पहुंचे और जिला प्रशासन को अपना मांग पत्र सौंपा. छात्र की खुदकुशी की घटना को इन अध्यापकों ने बहुत ही दुखद बताया. साथ ही इन अध्यापकों और प्रबंधकों का यह भी कहना था कि आजमगढ़ की घटना के बाद किस तरह से स्कूल की प्रिंसिपल और टीचर की गिरफ्तारी हुई है और उचित नहीं है.
शिक्षकों ने कहा कि बिना जांच पड़ताल किए ही स्कूल की प्रिंसिपल और टीचर को गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर गिरफ्तार कर लिया गया. चंदौली के निजी विद्यालय के अध्यापकों और प्रबंधकों ने सरकार से यह मांग भी की है कि गिरफ्तार की गई प्रिंसिपल और टीचर को तत्काल छोड़ा जाए और अगर जांच में व दोषी पाए जाते हैं तो ही उनके ऊपर कार्रवाई की जाए.
आशीष विद्यार्थी (जिलाध्यक्ष, विद्यालय प्रबंधक संघ, चंदौली) ने कहा कि आजमगढ़ में जो घटना घटी है उसे लेकर हमारा शिक्षक समुदाय बहुत ही दुखी है. लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि बिना जांच किए पुलिस ने एक ऐसी कार्रवाई की है जिसमें प्रधानाचार्य और टीचर को जेल भेज दिया है. उन्हें गंभीर धाराओं में निरुद्ध किया है. कल उनकी बेल तक नहीं हो पाई है. हम यह कहना चाहते हैं कि या तो सरकार हमें एक एडवाइजरी जारी करें कि हमें बच्चों के साथ किस तरह से बिहेव करना चाहिए. क्या यह जो हम लोग रूटीन चेकिंग करते हैं जिसमें बच्चे कभी मोबाइल लेकर आ जाते हैं चाकू छुरी लेकर आ जाते हैं या कुछ अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं लेकर आ जाते हैं, तो क्या यह करना हम बंद कर दें. अगर इस तरह की चीजें होंगी तो बच्चे अनुशासन में नहीं रहेंगे. पढ़ाई और पठन-पाठन का कार्य अच्छे ढंग से नहीं चल पाएगा. दूसरी बात हम यह कहना चाहते हैं और उन बच्चों से भी अपील करना चाहते हैं कि इस तरह की नादानी ना करें.
उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई टीचर स्टूडेंट डांटता है तो उसके भले के लिए डांटता है. घर पर मां-बाप संस्कार देते हैं लेकिन शिक्षक संस्कार के साथ शिक्षा भी देता है. गार्जियन से मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर आप अपने बच्चों को 6 से 7 घंटे हमारे विद्यालय में भेजते हैं तो जाहिर है कि आपका भरोसा हमारे ऊपर है. इस भरोसे को टूटने मत दीजिए और इस तरह से किसी एक घटना पर सिर्फ स्कूल के माथे पर सारा दोष मढ़ देना यह न्यायोचित नहीं है. हमारी मांग है कि उन प्रधानाचार्य और शिक्षक को तत्काल रिहा किया जाए. अगर दोष साबित होता है तो आप उनको कड़ी से कड़ी सजा दीजिए, हम सब साथ हैं.