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Personality Development Tips: पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को करना चाहते हैं बैलेंस? तो खुद से करें ये सवाल

Personal and Professional Life: अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी एक चीज को इतना वक्त देने लगते हैं कि दूसरी चीज प्रभावित होने लगती है. जिसमें सबसे ज्यादा समस्या तब आती है, जब हम वर्क लाइफ यानी प्रोफेशनल लाइफ को इतनी ज्यादा तवज्जो देने लगते हैं कि हमारी पर्सनल लाइफ पर बुरा असर पड़ने लगता है.

Personal and Professional Life Balance (Symbolic Image- Freepik) Personal and Professional Life Balance (Symbolic Image- Freepik)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

हमारी जिंदगी में कई तरह के लोग, कई तरह के काम और कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं. इन सबको हमें समय देना पड़ता है. लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी एक चीज को इतना वक्त देने लगते हैं कि दूसरी चीज प्रभावित होने लगती है. जिसमें सबसे ज्यादा समस्या तब आती है, जब हम वर्क लाइफ यानी प्रोफेशनल को इतनी ज्यादा तवज्जो देने लगते हैं कि हमारी पर्सनल लाइफ पर असर पड़ने लगता है और फिर शुरू होती हैं परेशीनियां. अगर आपकी जिंदगी में भी ये वक्त आ गया है तो जरूरी है कि आप खुद से कुछ सवाल करें और फिर गौर करें कि आपका अगला कदम क्या होना चाहिए.

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विचार करें: खुद से विचार करें कि क्या है जो मुझे तनाव देता है? इससे काम और परफॉर्मेंस किस हद तक प्रभावित हो रहा है? इससे व्यक्तिगत जीवन पर क्या असर पड़ रहा है? विचार करें कि आप किन चीजों को प्रथामिकता दे रहे हैं और किन चीजों का त्याग कर रहे हैं?

भावनाओं को समझें: आप चाहे कुछ भी कर रहे हों लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वो आपको खुशी दे. आप ये समझने की कोशिश करें कि जो आप कर रहे हैं, वो काम आपको कितना खुशी दे रहा है. क्या आप संतुष्ट हैं या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप परेशान रहते हैं और काम आप पर बोझ बन गया है?

विकल्प पर करें विचार: आप जैसी भी जिंदगी जी रहे हों, चाहे आप काम को ज्यादा वक्त दे रहे हों या खुद को लेकिन इसके विकल्प पर विचार करना बेहद जरूरी है. क्या आपकी जिंदगी में कुछ ऐसा है जिसमें आप बदलाव चाहते हैं? कितना समय आप खुद को या परिवार को देना चाहते हैं? क्या उतना समय आप दे पा रहे हैं? या इसमें बदलाव की जरूरत है?

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दोबारा तय करें प्राथमिकताएं: काम करते करते अक्सर हम भूल जाते हैं कि हमारी प्राथमिकताएं क्या थीं. हम किस लिए काम कर रहे हैं. अक्सर ऐसा होता है कि काम ही हमारी प्राथमिकता बन जाती है. जरूरी है कि थोड़ा ठहर कर एक बार फिर प्राथमिकताएं तय की जाएं. ये सोचा जाए कि वो क्या है जिसको हम खुशी से छोड़ने को तैयार हैं और कितने समय के लिए हम ऐसा कर सकते हैं. 

 

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