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8वीं तक बच्चों को फेल न करने की व्यवस्था होगी खत्म, चल रही है तैयारी

नई व्यवस्था लागू होने के बाद यदि 8वीं में बच्चे फेल होते हैं तो उन्हें 9वीं कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

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वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 9:04 AM IST

अगर आप 5वीं और 8वीं के छात्र हैं और ये सोचकर पढ़ाई पर कम ध्यान दे रहे हैं कि पासिंग मार्क्स न आने के बावजूद आपको अगली कक्षा में बैठने का मौका मिल ही जाएगा, तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि जल्द ही यह व्यवस्था खत्म होने वाली है. केंद्र सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है.

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केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि राज्यों के समर्थन से केंद्र जल्द ही 5वीं और 8वीं कक्षा में छात्रों के परीक्षा में फेल होने पर उन्हें उसी कक्षा में रोके जाने की व्यवस्था शुरू करेगा.

उन्होंने कहा कि संसद में पारित किये जाने वाले प्रस्तावित विधेयक में, राज्यों को मार्च में 5वीं और 8वीं के छात्रों की परीक्षा कराने का अधिकार दिया गया है, इसमें फेल होने पर छात्रों को मई में परीक्षा में शामिल होने का एक आखिरी मौका दिया जायेगा.

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जावड़ेकर ने कहा कि अगर छात्र दोनों प्रयासों में फेल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि 25 राज्य पहले ही इस कदम के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं.

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इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स में 'पूर्वी क्षेत्र में शिक्षा की दिशा में आगे का रास्ता' विषय पर आयोजित एक चर्चा में जावड़ेकर यह सारी बातें कही.

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उन्होंने कहा कि हमने सभी (राज्यों के) शिक्षा मंत्रियों के साथ एक संयुक्त बैठक में फैसला लिया कि हम बिना 5वीं और 8वीं कक्षा पास किए छात्र को 9वीं में जाने की इजाजत नहीं दे सकते. हम राज्यों को शक्तियां देंगे कि वे छात्रों को रोक सकें.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कक्षा एक से 8वीं तक छात्रों को नहीं रोकने की नीति से वे प्रभावित हुए हैं. केंद्रीय मंत्री ने ये भी कहा कि शिक्षा राजनीतिक एजेंडा नहीं है. यह एक राष्ट्रीय एजेंडा है. सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए शिक्षा शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा, जब हम अंतर राज्यीय बैठकें करते हैं तो पश्चिम बंगाल अनुपस्थित रहता है. सभी को इस तरह की बैठकों में हिस्सा लेना चाहिए.

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जावड़ेकर ने कहा कि सरकार शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इच्छुक है. उन्होंने कहा, मैंने देशभर के तकरीबन 15,000 बीएड कॉलेजों से हलफनामा मांगा था और उन्हें 15 जुलाई तक की समयसीमा दी थी. उन्होंने बताया कि 10,000-11,000 संस्थानों ने हलफनामा जमा कर दिया है और जिन संस्थानों ने अब तक हलफनामा जमा नहीं किया है, उन्हें संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी. जावडेकर ने कहा है कि अगले दो वर्षों में सभी बच्चों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना हमारा लक्ष्य है और हम इसे समुदायिक मुहिम बनाना चाहते हैं.

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