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ऑनलाइन गेम खेलने से खुल सकते हैं बच्चों के दिमाग के ताले!

ऑस्ट्रेलिया में किशोर (Teens) पर किए गए सर्वेक्षण को सच मानें तो ऑनलाइन गेम खेलना फायदेमंद हो सकता है. कितना और कैसे, जानें इस खबर में...

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विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

ऑस्ट्रेलिया में हुए हालिया सर्वेक्षण (स्टडी) की मानें तो ऑनलाइन गेम खेलना स्कूल जाने वाले किशोरों के रिजल्ट को बेहतर बनाता है. हालांकि फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यमों पर समय बिताना उल्टा असर डालता है.

यह रिसर्च ऑस्ट्रेलिया में 15 साल के किशोरों पर की गई थी. दुनिया की जानी-मानी संस्था प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट (PISA) ने इंटरनेट के इस्तेमाल और उसकी वजह से रिजल्ट पर पड़ने वाले असर को आधार बना कर यह रिसर्च की थी.

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इस रिसर्च से ऐसे खुलासे हुए हैं कि वैसे बच्चे जो फेसबुक जैसे सोशल मीडियम लगातार इस्तेमाल करते हैं. उन्हें मैथ्स, रीडिंग और साइंस जैसे सब्जेक्ट में उन स्टूडेंट से कम अंक मिलते हैं जो सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं.

वहीं यह रिसर्च इस बात को स्पष्ट रूप से सबके सामने रखती है कि ऑनलाइन वीडियो गेम खेलने वाले स्टूडेंट अपेक्षाकृत बेहतर करते हैं. यह स्टडी इस बात की भी ताकीद करती है कि वैसे स्टूडेंट जो पहले से ही मैथ्स, साइंस या रीडिंग में बढ़िया हैं, वो ऑनलाइन गेम खेलना अधिक पसंद करते हैं.

इस स्टडी में इस बात का भी उल्लेख है कि दोनों माध्यम स्टूडेंट का बहुमूल्य समय खाते हैं लेकिन ऑनलाइन गेम खेलना उन्हें स्कूल में सीखे गई चीजों में बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है.

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इस स्टडी के कर्ता-धर्ता अल्बर्टो पोस्सो कहते हैं कि वैसे स्टूडेंट जो हर रोज ऑनलाइन गेम खेलते हैं वे इन्हें न खेलने वालों की तुलना में मैथ्स में 15 प्वाइंट अधिक और साइंस में 17 प्वाइंट अधिक स्कोर करते हैं.

यह स्टडी बताती है कि जब कोई बच्चा ऑनलाइन गेम खेलता है तो वह अगले लेवल तक पहुंचने की मशक्कत कर रहा होता है. इसमें वह जनरल नॉलेज, मैथ्स स्किल, रीडिंग और साइंस की प्रैक्टिस कर रहा होता है. वहीं सोशल मीडिया पर समय बिताने से ऐसा कुछ भी नहीं होता. बच्चे यहां समय बिताने से कुछ नहीं सीखते और साथ ही मैथ्स और साइंस जैसे सब्जेक्ट भी प्रभावित कर लेते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में 15 से 17 साल के बीच 97 फीसद स्टूडेंट बार-बार ऑनलाइन होते हैं. इस सैंपल मे शामिल 78 फीसद बच्चों ने स्वीकारा कि वे रोजाना सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं.

अंत में वे यह भी जोड़ते हैं कि स्कूल छोड़ना रिजल्ट और पढ़ाई को अधिक नुकसान पहुंचाता है लेकिन सोशल मीडिया का लगातार इस्तेमाल भी कोई कम नुकसान नहीं पहुंचाता.

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