
सारी कठिनाइयों से निकलते हुए सड़क की सफाई करने वाले 36 साल के सुनील यादव ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) से एमफिल की डिग्री हासिल की है.
सुनील बृहन्नमुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (BMC) में नौकरी करते हैं. वो सड़कों की सफाई करते हैं. सुनील अपनी पीएचडी सफाई के काम करने वाले वर्ग के लोगों की परेशानियों पर करना चाहते हैं और पीएचडी के माध्यम से उनकी परेशानियों का हल भी खोजना चाहते हैं.
कॉरपोरेट कंपनी में नहीं करना चाहते हैं जॉब:
उन्होंने कहा, 'मैं एमफिल की डिग्री हासिल करके काफी खुश हूं. सोशल सिस्टम पर काफी पढ़ाई करना चाहता हूं. यादव ने 7वीं रैंक हासिल की है. वो 'ग्लोबलाइजेशन एंड लेबर' पर रिसर्च कर रहे हैं. दरअसल अच्छी रैंक हासिल करने के बाद भी यादव सफाई कर्मचारी की नौकरी करते रहना चाहते हैं. वो कहते हैं, ' मैं किसी भी कॉरपोरेट कंपनी में जॉब नहीं करना चाहता हूं. मैं सफाई कर्मचारियों के अधिकारों को समझना चाहता हूं और उसके लिए संघर्ष भी करना चाहता हूं. इनके प्रति समाज में हो रहे भेदभाव को भी दूर करना चाहता हूं. '
मजबूरी में करनी पड़ी नौकरी:
अपने अभी तक के सफर के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें नौकरी उनके पिताजी की जगह पर मिली थी क्योंकि वह इस नौकरी के लिए शारीरिक रूप से अक्षम हो गए थे. नौकरी करते रहने के बावजूद भी उनके मन से पढ़ाई करने का ख्याल नहीं गया. 10वीं, 12वीं के बाद उन्होंने बीकॉम किया. इसके बाद उन्होंने जर्नलिज्म में भी बैचलर डिग्री और 2011 में सोशल वर्क में मास्टर डिग्री हासिल की.
बहुत मुश्किल था काम करते हुए पढ़ाई करना:
पढ़ाई करना उनके लिए आसान काम नहीं था. खासकर जब उन्होंने हायर डिग्री हासिल करने के बारे में सोचा. उनके ऑफिसर्स का व्यवहार भी अच्छा नहीं था. लेकिन ऐसे मौके पर हमेशा उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर से प्रेरणा ग्रहण की. वे जब साउथ अफ्रीका जा रहे थे तो उनके सीनियर्स ने उन्हें किसी भी तरह की छुट्टी देने से मना कर दिया था. इस मामले में TISS के अधिकारियों की मदद की वजह से वो जाने में कामयाब रहे.