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मोदी सरकार का फैसला- 8वीं तक बच्चों को फेल न करने की व्यवस्था होगी खत्म

राइट टू एजुकेशन विधेयक में संशोधन किया जाएगा. इस संशोधन के बाद अब राज्यों को अनुमति दी जाएगी कि 5वीं-8वीं क्लास की परीक्षा में असफल होने पर उन्हें रोक सके. हालांकि छात्रों को परीक्षा के माध्यम से दूसरा मौका दिया जाएगा.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:15 AM IST

अगर आप 5वीं से 8वीं के छात्र हैं और ये सोचकर पढ़ाई पर कम ध्यान दे रहे हैं कि पासिंग मार्क्स न आने के बावजूद आपको अगली कक्षा में बैठने का मौका मिल ही जाएगा, तो आप गलत सोच रहे हैं. क्योंकि केंद्र सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला ले लिया है. बुधवार को हुए कैबिनेट मीटिंग में स्कूलों में फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने की मंजूरी दी.

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अब राइट टू एजुकेशन विधेयक में संशोधन किया जाएगा. इस संशोधन के बाद अब राज्यों को अनुमति दी जाएगी कि 5वीं-8वीं क्लास की परीक्षा में असफल होने पर उन्हें रोक सके. हालांकि छात्रों को परीक्षा के माध्यम से दूसरा मौका दिया जाएगा.

संसद में पारित किए जाने वाले प्रस्तावित विधेयक में, राज्यों को मार्च में 8वीं तक के छात्रों की परीक्षा कराने का अधिकार दिया गया है, इसमें फेल होने पर छात्रों को मई में परीक्षा में शामिल होने का एक आखिरी मौका दिया जाएगा. नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत स्कूल आने वाले किसी बच्चे को फेल न करने का प्रावधान है. साथ ही प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक निकाला न जाए. ज्यादा से ज्यादा बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हो और परीक्षा के मानसिक दबाव से बच्चे मुक्त हों.

अगर छात्र दोनों प्रयासों में फेल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक लिया जाएगा. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पहले कहा था कि 25 राज्य पहले ही इस कदम के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि कक्षा एक से 8वीं तक छात्रों को नहीं रोकने की नीति से वे प्रभावित हुए हैं. शिक्षा राजनीतिक एजेंडा नहीं है. यह एक राष्ट्रीय एजेंडा है. सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए शिक्षा शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए.

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