
पुणे के सावित्रीबाई फूले विद्यापीठ की ओर से जारी उस सर्कुलर पर महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने सफाई दी है, जिसमें कहा गया कि अब विद्यार्थियों को शाकाहारी होने या ना होने के आधार पर गोल्ड मेडल दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी विद्यापीठों को प्रतिभा के आधार पर पुरस्कार, स्कॉलशिप और मेडल देने का निर्देश जारी किया है.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि शेलारमामा गोल्ड मेडल देने के लिए शाकाहारी होने की शर्त का जीआर विद्यापीठ ने जारी किया है. उन्होंने कहा कि यह पहली दफा नहीं है, जब ऐसा जीआर जारी किया गया है. इससे पहले साल 2006 में ऐसा ही निर्णय लिया गया था. लिहाजा यह पुराना जीआर है.
सूबे के शिक्षा मंत्री तावड़े ने कहा कि सभी विद्यापीठ संविधान द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों को बिना कोई बाधा पहुंचाए छात्रों को पुरस्कार, स्कॉलरशिप और पदक दें. उन्होंने कहा कि सभी विद्यापीठों को सूचित किया गया है कि पुरस्कार, स्कॉलरशिप और पदक के चयन में विषमता वाली कोई भी शर्त विद्यापीठ स्वीकार न करें.
तावड़े कहा कि संविधान में दिए गए मूल अधिकारों में बिना किसी भेदभाव के विद्यार्थियों के चयन करने के स्पष्ट निर्देश विद्यापीठों को दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिभा के आधार पर इनके लिए चयन किया जाए. मालूम हो कि सावित्रीबाई फूले विद्यापीठ की ओर से जारी हालिया सर्कुलर में 10 ऐसी शर्तें तय की गई हैं, जो महर्षि कीर्तंकर शेलारमामा गोल्ड मेडल के लिए पात्रता तय करती हैं.इनमें शाकाहारी होने की शर्त भी शामिल है. साथ ही इन शर्तों में नशा ना करना, योग और प्राणायाम करना आदि भी शामिल है.
इस साल यह सर्कुलर 31 अक्टूबर को दोबारा जारी किया गया है. हालांकि छात्र संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. यह मेडल योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलार और त्यागमूर्ति श्रीमति सरस्वती रामचंद्र शेलार के नाम पर योग गुरु ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है. साथ ही यह मेडल साइंस और नॉन साइंस के पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को दिया जाता है. हालांकि यूनिवर्सिटी का कहना है कि उन्होंने यह शर्तें तय नहीं की है और ट्रस्ट के सामने इस मामले को उठाया जाएगा.