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कट्टर हिंदुत्व के प्रमुख विचारक विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें आज हम वीर सावरकर के नाम से भी जानते हैं का निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था.
उनकी पुण्यतिथि पर जानिये उनके बारे में कुछ ऐसी बातें, जिन्हें संभवत: आपने नहीं सुना होगा...
1. प्रमुख स्वतंत्रा सेनानियों में एक विनायक दामोदर
सावरकर का जन्म 28 मई 1883 में हुआ था.
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2. हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे पर वो जाति व्यवस्था के विरोधी थे. यहां तक कि गाय की पूजा को उन्होंने नकार दिया और गौ पूजन को अंधविश्वास करार दिया था.
3. सावरकर अंग्रेजों के साथ-साथ विदेशों से आई
वस्तुओं के भी विरोधी थे. उन्होंने साल 1905 में दशहरा
के दिन विदेश से आई सभी वस्तुओं और कपड़ों को
जलाना शुरू कर दिया.
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4. भारत में अभिनव भारत सोसाइटी नाम का छात्र संगठन और इंग्लैंड में फ्री इंडिया सोसाइटी का गठन किया.
5. साल 1857 की क्रांति पर उन्होंने 'द इंडियन वॉर
ऑफ इंडिपेंडेंस' किताब लिखी, जिसमें उन्होंने गुर्रिला
वार स्टाइल का उल्लेख किया. युद्ध की यह रणनीति को
सावरकर ने लंदन में सीखा था. इस किताब को ब्रिटिश
एम्पायर ने प्रकाशित नहीं होने दिया था. हालांकि मैडम
बिकाजी कामा ने इसे प्राकाशित कर दिया और नीदरलैंड,
जर्मनी और फ्रांस में इसकी प्रतियां बांटी गईं.
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6. सावरकर को जुलाई 1911 में 50 साल की कालापानी की सजा सुनाई गई. हालांकि बाद में उनके माफी मांगने पर और इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस द्वारा दबाव डाले जाने के बाद उन्हें सेलुलर जेल में शिफ्ट कर दिया गया और जल्दी ही उनकी सजा भी माफ कर दी गई.
7. उन्होंने 'हिंदुत्व' शब्द को गढ़ा और हिंदू धर्म की विशिष्टता पर जोर दिया. जो सामाजिक और राजनीतिक साम्यवाद से जुड़ा था.
8. सावरकर को साल 1937 में हिंदू महासभा का
अध्यक्ष बनाया गया. इस पद पर वो साल 1943 तक
रहे.
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9. ऐसा भी कहा जाता है कि सावरकर की महात्मा गांधी से नहीं बनती थी. उन्होंने गांधी के 'भारत छोड़ो' आंदोलन का विरोध भी किया. दरअसल, इससे सावरकर अंग्रेजों का भरोसा जीतना चाहते थे और उनकी मदद से हिंदू प्रांतों का सैन्यकरण करना चाहते थे.