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JNU के प्रशासनिक भवन पर छात्रों का कब्जा, धरने पर बैठे छात्रों ने दी विद्रोह की चेतावनी

यूजीसी नोटिफिकेशन के खिलाफ जेएनयू प्रशासन बनाम जेएनयू छात्रों की लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. हालात ये हैं कि नोटिफिकेशन का विरोध कर रहे छात्रों ने जेएनयू प्रशासन को विद्रोह और विरोध के लिए किसी भी तरीके को अपनाने की चुनौती दे डाली है.

जेएनयू के प्रशासनिक भवन पर छात्रों का कब्जा जेएनयू के प्रशासनिक भवन पर छात्रों का कब्जा
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:48 PM IST

यूजीसी नोटिफिकेशन के खिलाफ जेएनयू प्रशासन बनाम जेएनयू छात्रों की लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. हालात ये हैं कि नोटिफिकेशन का विरोध कर रहे छात्रों ने जेएनयू प्रशासन को विद्रोह और विरोध के लिए किसी भी तरीके को अपनाने की चुनौती दे डाली है.

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दरअसल करीब 2 महीने पहले जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को फ्रीडम स्क्वायर पर अनशन और प्रदर्शन नहीं करने की चेतावनी देने के लिए जो सूचना बोर्ड लगाया था उस पर जेएनयू के छात्रों ने भी एक पोस्टर चिपका दिया, जिसमें जेएनयू वीसी, रजिस्ट्रार और रेक्टर को चुनौती देते हुए लिखा की विद्रोह और विरोध का हर वो तरीका अपनाया जा सकेगा जिससे जेएनयू को बचाया जा सके.

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करीब 30 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन जेएनयू के छात्र एडमिन ब्लॉक पर डटे हुए हैं. शुक्रवार को जेएनयू के छात्रों ने एडमिन ब्लॉक में किसी को भी एंट्री नहीं दिया. सुबह के वक्त रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार एडमिन ब्लॉक पर पहुंचे लेकिन छात्रों से बातचीत की कोशिश नाकाम रही. बहस और नारों के बीच जेएनयू रजिस्ट्रार को बैरंग वापस लौटना पड़ा.

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छात्रों का आरोप है कि 5 मई 2016 के यूजीसी नोटिफिकेशन को एकेडेमिक कॉउंसिल की बैठक गैरकानूनी तरीके से पास कर दिया गया. जिसकी वजह से साल 2017 में एम फिल और पीएचडी की सीटें कम हो जाएंगी. छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन इसे जबरदस्ती लागू कर रहा है. इस नोटिफिकेशन से नाराज होकर कुछ छात्र कई दिन से अनशन पर बैठे हुए हैं. इन्ही में से एक छात्रा श्वेता राज की अपने अनशन के 11 दिन तबियत बिगड़ गई. श्वेता को जेएनयू के मेडिकल सेंटर ले जाया गया. लेकिन इसके बावजूद छात्रों ने जेएनयू एडमिन के गेट पर डटे रहने का फैसला किया.

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जेएनयू के एम ए सेकंड ईयर के छात्र दुष्यन्त कुमार ने कहा कि यूजीसी के इस नोटिफिकेश का असर उनकी आगे की पढा़ई पर पड़ेगा. दरअसल दुष्यन्त जेएनयू के सोशल साइंस विभाग से ही रिचर्स करना चाहते हैं लेकिन अगर यूजीसी का 2016 का नोटिफिकेशन लागू हो जाता है तो फिर रिचर्स के लिए सीटें कम हो जाने से दाखिला मुश्किल हो जाएगा.

दुष्यन्त की तरह कृति भी इस नोटिफिकेशन से नाखुश हैं. कृति के मुताबिक जेएनयू को विजिटर्स अवॉर्ड मिला है और सोशल साइंसेज में रिसर्च के लिए जेएनयू से बेहतर यूनिवर्सिटी नहीं है. ऐसे में कोई क्यों जेएनयू से बाहर जाना चाहेगा. यूजीसी को जेएनयू में सीटें बढ़ानी चाहिए न की घटानी चाहिए. अगर बाहर की दूसरी यूनिवर्सिटी में कोई जाएगा भी तो उनकी मोटी फीस चुकाना छात्रों के लिए मुश्किल होगा.

जेएनयू के एडमिन ब्लॉक के हर गेट का छात्रों ने घेराव कर रखा था. कही ढ़पली और बैनर पोस्टर के साथ छात्र बैठे हुए थे, तो कहीं उन्हीं गमलों का इस्तेमाल कर गेट को ब्लॉक किया गया था जिसका इस्तेमाल कुछ दिन पहले जेएनयू प्रशासन ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन को बंद करने के लिए फ्रीडम स्क्वायर पर किया था.

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देर शाम जेएनयू के छात्रों को जेएनयू शिक्षक संघ का भी समर्थन मिला. कैंपस में एक बड़ी रैली निकाली गई. जेएनयू छात्र संगठन के साथ साथ घेराबंदी करने वाले छात्रों में एसी मीटिंग में दखल देने के आरोप के चलते सस्पेंड किये गए छात्र भी शामिल है. छात्रों ने शुक्रवार रात भी एडमिन ब्लॉक पर डटे रहने का फैसला किया है.

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वहीं दूसरी तरफ जेएनयू के एडमिन ब्लॉक की घेराबंदी की वजह से दो दिन से प्रशासनिक काम-काज पूरी तरह ठप्प है. डीन ऑफ स्टूडेंट्स राणा पी. सिंह ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि जेएनयू छात्रों का बलपूर्वक एडमिन ब्लॉक पर कब्जा करना दुर्भाग्यपूर्ण है. साथ ही डीन ऑफ स्टूडेंट ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की, जिसमें उन्होंने कहा कि जेएनयू छात्रों से अपील करते हुए कहा कि छात्रसंघ प्रतिनिधि सोमवार को सुबह 9 बजे इस मामले पर बातचीत करने आएं.

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