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अभी हर तरफ एडमिशन का माहौल है. लोग एक शहर से दूसरे शहर कॉलेज में दाखिले के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं. हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन का क्रेज ज्यादा रहता है लेकिन कलकत्ता यूनिवर्सिटी भी इस मामले में पीछे नहीं है. कलकत्ता यूनिवर्सिटी देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों में से एक है. यहां देश भर से स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए आते हैं. सबसे ज्यादा संख्या होती है नॉर्थ-ईस्ट के छात्रों की. झारखंड-बिहार से भी कई स्टूडेंट्स अपना सपना पूरा करने यहां आते हैं. नए लोग यहां नए अनुभवों से रूबरू होते हैं. जब किसी दूसरे राज्य का कोई कोई स्टूडेंट यहां पहली बार पढ़ने आते है तो उसे कुछ इस तरह का माहौल मिलता है.
(1) भाषा की समस्या:
यूनिवर्सिटी में ज्यादातर स्टूडेंट्स बंगाल के होते हैं ऐसे में यहां सबसे ज्यादा बंगाली ही बोली जाती है. ऐसा नहीं है कि यहां के लोकल स्टूडेंट्स को हिंदी नहीं आती है लेकिन फिर भी बंगाली में ही बात करना उन्हें ज्यादा भाता है. ऐसे में जब कोई बाहर का स्टूडेंट यहां आता है तो उसे अजनबियों जैसा महसूस होता है. उसे लगता है कि हर कोई उसे इग्नोर कर रहा है. हालांकि वह धीरे-धीरे इससे तालमेंल बिठा लेता है और फिर वहीं का होकर रह जाना चाहता है.
2) अपने में ही मस्त रहते हैं स्टूडेंट्स:
अपनी जिंदगी में खुश रहना यहां के स्टूडेंट्स की खूबी है लेकिन बाहर से आए बच्चों के लिए ये परेशानी का सबब बन जाती है. नए माहौल में जरूरत होती है किसी साथी की जो नए शहर में आपकी मदद कर सके. लेकिन यहां के स्टूडेंट्स अपने में ही इतने मस्त होते हैं कि बाहर से आया कोई शख्स उनसे मदद भी नहीं मांग पाता है.
3) आर्ट से प्यार करने वालों की बहुतायत:
कोलकाता अपने आर्ट कल्चर के लिए जाना जाता है. यहां के लोगों को संगीत से बहुत प्यार होता है. कैंपस में भी आपको रविंद्र संगीत सुनने को मिल जाएगा. आए-दिन यहां कॉम्पटीशन होते रहते हैं. बाहर से आए छात्र जिन्हें लोक नृत्य और संगीत में रुचि है उनके लिए ये एक अच्छा प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है.
4) कुर्ते से प्यार:
यूनिवर्सिटी के फैशन की बात की जाए तो यहां के स्टूडेंट्स को कुर्ते पहनना कुछ ज्यादा ही पसंद है. ऊपर कुर्ता और नीचे जींस वहां का स्ट्रीट-स्मार्ट फैशन है. यहां लड़कियां भी पुरुषों की तरह लंबे और ढीले कुर्ते पहनना पसंद करती हैं. बाहर से आए स्टूडेंट्स के लिए ये थोड़ा अटपटा हो सकता है और बहुत से लोग इस फैशन को पसंद भी नहीं करते. कलकत्ता यूनिवर्सिटी फैशन सेंस के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी जितनी हैपनिंग और एडवांस नहीं है.
5) स्ट्रीट फूड:
कोलकता शहर अपने खान-पान के लिए बेहद मशहूर है. यूनिवर्सिटी के जितने भी कॉलेज हैं उनके आस-पास ढेरों फूड ज्वॉइंट्स और ठेले हैं. यहां के फुचके यानी कि गोलगप्पे स्टूडेंट्स की पहली पसंद है. अगर आपने एक बार यहां की झाल-मूड़ी और आलू चाप खा लिया तो उसे आप भूल नहीं पाएंगे. वहीं कैंपस के आस-पास कई मिठाई की दुकानें भी हैं जिनके रसगुल्ले और संदेश देश भर में फेमस हैं. बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए यहां का ज़ायकेदार खाना किसी तोहफे से कम नहीं. कलकत्ता विश्वविद्यालय के पास का कॉफी हाउस अंग्रेजों के जमाने का है, जिसकी कॉफी पीने लोग दूर-दूर से आते हैं.
6) दादा के खिलाफ कुछ मत कहना:
जी हां ! अगर आप कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए हैं तो दादा यानी कि सौरव गांगुली के बारे में सोच-समझ के ही बोलना. यदि आपने दादा के खिलाफ कुछ कहा तो आपकी लड़ाई भी हो सकती है.
7) क्रिकेट के साथ-साथ फुटबॉल भी है पसंद:
नब्बे के दशक से जो भारत पर क्रिकेट की खुमारी चढ़ी है वो यहां भी स्टूडेंट्स पर तारी है लेकिन यहां फुटबॉल को भी शिद्दत से फॉलो किया जाता है. आखिर देश के सबसे अच्छे फुटबॉल क्लब जैसे मोहन बगान वगैरह भी तो बंगाल की ही शान हैं.