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इन्होंने देश को चंडीगढ़ शहर दिया. चंडीगढ़ को उसकी सबसे बड़ी पहचान देने वाले स्विस- फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुजिए का जन्म साल 1887 में 6 अक्टूबर को हुआ था.
जानें ली कोर्बुजिए के बारे में...
चंडीगढ़ का ब्लूप्रिंट उन्होंने ही तैयार किया, जो उनकी किताब 'द रेडिएंट सिटी' पर आधारित था.
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उनके जन्म का नाम चार्ल्स एडवार्ड जेनर था, जो उन्होंने बाद में बदलकर ले कोर्बुजिए कर दिया.
उन्होंने 26 मीटर ऊंचा ओपन हैंड स्मारक बनाया, जो आज चंडीगढ़ सरकार का प्रतीक है.
10 स्विस फ्रैंक के नोट पर उनकी तस्वीर छपी है.
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कुछ समय के लिए वह पत्रिका 'प्रेल्यूद' के संपादक भी रहे.
ली कोर्बुजिए साल 1930 के दौरे में फ्रांसीसी दक्षिणपंथी राजनीति का हिस्सा रहे.
ली कोर्बुजिए का जन्म तो स्विट्जर्लैंड में हुआ था, लेकिन 30 साल की आयु के बाद वे फ्रांसीसी नागरिक बन गए और आखिरी सांस भी वहीं ली.ली कोर्बुजिए की सोच एक आधुनिक युग के समय की थी. ली कोर्बुजिए 1952-1959 के बीच भारत में रहे. उस दौरान उन्होंने चंडीगढ़ और उसके भवनों के डिजाइन तैयार किए.
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चंडीगढ़ ली कोर्बुजिए की एक अद्भुत देन है. आज चंडीगढ़ अगर अपनी खूबसूरती और ग्रीनरी के लिए मशहूर है तो इसका सारा श्रेय ली कोर्बुजिए को ही जाता है.
चंडीगढ़ अन्य शहरों की तरह नहीं है. ये शहर पूरी तरह से प्लांड है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत यहां की ग्रीनरी है. इसे मैप के मुताबिक बनाया गया है.
उनका निधन साल 1965 में 27 अगस्त को हुआ था.