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वैसे तो शुवजित पायने की कहानी बेहद फिल्मी है, मगर फिल्में भी तो दुनियावी कहानियों से प्रेरणा लेकर ही बनाई जाती रही हैं. शुवजित को गर वास्तविक दुनिया का शाहरुख खान कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. शुवजित ने प्रेसिडेंसी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में स्नातक और आईआईएम लखनऊ से एमबीए करने के बाद आईबीएम लंदन में जॉब कर रहे थे. इसके एवज में वह कंपनी से मोटी तनख्वाह वसूलते थे.
SBI की फेलोशिप के सहारे लौटे स्वदेश...
शुवजित की जिंदगी लंदन में बड़े आराम से कट रही थी, लेकिन उन्होंने खुद के लिए कुछ और ही सोच रखा था. उन्होंने SBI द्वारा ऑफर की जा रही Youth For India फेलोशिप प्रोग्राम के लिए अप्लाई किया. हालांकि, उनके दोस्त और परिवार के लोग उनके इस डिसिजन पर थोड़े अनमने थे.
यह फेलोशिप उन्हें महाराष्ट्र ले आया...
यदि किसी को वाकई भारत के भीतर काम करना हो तो महाराष्ट्र काफी चैलेंजिंग और सिखाने वाला राज्य हो सकता है. यहां वे अपने कुछ सामान और लैपटॉप के साथ चले आए. वे यहां लंबे समय तक बिना किसी इंटरनेट और विशेष सुविधा के रहे. शुरुआती दिनों में वे ग्रामीण लोगों से बात करने में खुद को असहज महसूस करते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब-कुछ सामान्य हो गया. वे अब वहां के बच्चों को बड़े आराम से पढ़ाने का काम कर रहे हैं.
अंग्रेजी से की शुरुआत, आज हैं प्रोग्राम डायरेक्टर...
उन्होंने यहां बच्चों को सबसे पहले अंग्रेजी पढ़ाने की शुरुआत की. उनका मानना है कि अंग्रेजी आज के दौर में पूरी दुनिया में खुद को प्रेजेंट करने के लिए बेहद जरूरी भाषा है. आज उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे सॉप्टवेयर डेवलपर और एनिमेटर के साथ-साथ अलग-अलग विधाओं में भी अच्छा कर रहे हैं. उनके फेलोशिप के खत्म होने के बाद वे रिलायंस फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण लोगों के जद्दोजहद और जीविका में सुधार हेतु चलाए जा रहे प्रोग्राम्स के मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम करते रहे. वे आज Youth For India प्रोग्राम के मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं, और बहुतों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.
अब हम तो ईश्वर से यही दुआ करेंगे कि शुवजित का दिल भारत की वादियों और ग्रामीण क्षेत्र में यू हीं लगता रहे, और देश के सबसे अच्छे दिमाग देश के विकास और प्रगति में महती भूमिका निभा सकें.