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... वो थे सुरों के बेताज बादशाह, जिन्होंने दी राजकपूर को आवाज

बेशक वक्त के गर्दिश में यादों के सितारे डूब जाते हैं.लेकिन यादें कभी खत्म नहीं होती. जानें सदाबाहर गानोें को अपनी आवाज देने वाले महान गायक मुकेश के बारे में. 

Mukesh Mukesh
वंदना भारती
  • ,
  • 22 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

सावन का महीना चल रहा है. और आप सभी को महान गायक मुकेश का गाया हुआ गीत 'सावन का महीना पवन के सोर'.. तो याद ही होगा.. वहीं 'जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां', 'एक प्यार का नगमा है', 'ये मेरा दीवानापन है' और क्या खूब लगती हो जैसे बेहतरीन गाने गाकर वाकई मुकेश जी के गानें हमारे साथ सदा रहे हैं. साठ से अस्सी के दशक में अपनी तान और आवाज के जरिए दर्द का एहसास कराने वाले इस महान गीतकार का जन्म साल 1923 में 22 जुलाई को हुआ था.

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जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बातें.

1. मुकेश का जन्म लुधियाना के जोरावर चंद माथुर और चांद रानी के घर हुआ था.

2. इनकी बड़ी बहन संगीत की शिक्षा लेती थीं और मुकेश बड़े चाव से उन्हें सुना करते थे.

3. उनके एक दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने मुकेश को अपनी बहन की शादी में गाते हुए सुना. फिर क्या मोतीलाल उन्हें मुंबई ले गए. वहीं अपने घर में रहने की जगह दी. साथ ही मुकेश के लिए संगीत रियाज का पूरा इन्तजाम भी किया.

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4. इस दौरान मुकेश को एक हिन्दी फिल्म निर्दोष (1941) में मुख्य कलाकार का काम मिला. पार्श्व गायक के तौर पर उन्हें अपना पहला काम 1945 में फ़िल्म 'पहली नजर' में मिला.

5. मुकेश ने हिन्दी फिल्म में जो पहला गाना गाया, वह था 'दिल जलता है तो जलने दे' था.

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6. इस गाने के बाद उन्होंने एक और गाना साल 1959 में अनाड़ी फिल्म में ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ गाया. इस गाने के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर Film fair award से नवाजा गया.

7. साल 1974 में आई रजनीगंधा फिल्म में 'कई बार यूं भी देखा है गाना गाने के लिए उन्हें national award से भी सम्मानित किया गया है.

8. मुकेश के लिए इंडस्ट्री में शुरुआती दौर मुश्किलों भरा था. लेकिन के एल सहगल को इनकी आवाज बहुत पसंद आयी. उनके गाने को सुन के एल सहगल भी दुविधा में पड़ गये थे.

9. साल 1958 में फिल्म 'यहूदी' के गाने 'ये मेरा दीवानापन है' की कामयाबी के बाद मुकेश को एक बार फिर से बतौर गायक अपनी पहचान मिली. इसके बाद मुकेश ने एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को अपना दीवाना बना दिया था.

10. उन्होंने दसवीं तक पढ़ाई कर पीडब्लूडी में नौकरी शुरू की थी। कुछ ही साल बाद किस्मत उन्हें मायानगरी मुंबई ले गई.

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11. वह फिल्म जगत के दिग्गज अभिनेता राजकपूर की आवाज बन शोहरत की ऊंचाईयां छूई और वक्त के साथ अपनी गायकी से लोगों के दिलों पर छा गए.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक इटंरव्यू में खुद राज कपूर ने अपने दोस्त मुकेश के बारे में कहा है कि मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है.

12. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार', 'सजन रे झूठ मत बोलो', 'मेरा जूता है जापानी', 'दुनिया बनाने वाले', 'सब कुछ सीखा हमने', 'दोस्त दोस्त ना रहा' मुकेश के ऐसे सुपरहिट गाने हैं जो आज भी हम सबकी जबान पर हैं. ये सब गाने राज कपूर पर फिल्माए गए थे. मुकेश ने राज कपूर की इतनी फिल्मों में गाने गए कि उन्हें राज कपूर की आवाज के नाम से जाना जाने लगा. राज कपूर को जब उनकी मौत की खबर मिली तो उनके मुंह से आवाज भी ना निकली.मानों राज की जिंदगी किसी ने छीन ली हो.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटरव्यू में राज ने कहा था 'मुकेश के जाने से मेरी आवाज और आत्मा दोनों चली गई.

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नील नितिन मुकेश से नाता

बॉलीवुड अभिनेता नील नितिन मुकेश दिग्गज गायक मुकेश के पोते हैं.

नगमों के बेताज बादशाह कह गए अलविदा

राजकपूर की फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' के गाने 'चंचल निर्मल शीतल' की रिकॉर्डिग पूरी करने के बाद वह अमेरिका में एक कॉन्सर्टकंसर्ट में भाग लेने के लिए चले गए, जहां 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.बेशक वक्त के गर्दिश में यादों के सितारे डूब जाते हैं. लेकिन यादें खत्म नहीं होती हैं. लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि उनकी आवाज आज भी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं ना कहीं हमसे टकराती है.

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