
बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के संचालक मंडल से नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन के साथ-साथ अर्थशास्त्री मेघनाथ देसाई को हटा दिया गया है. राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 की धारा 7 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए संचालक मंडल का पुनर्गठन किया और नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन के साथ-साथ अर्थशास्त्री मेघनाथ देसाई को भी हटाने का निर्णय लिया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएम मोदी के आलोचक प्रो. अमर्त्य सेन को फरवरी 2015 में ही नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद को छोड़ना पड़ा था. संचालक मंडल के पुनर्गठन होने से अर्थशास्त्री मेघनाथ देसाई के अलावा टीएमसी के सांसद और हावर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे सुगता बोस को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गोपा सबरवाल को भी पद से हटा दिया गया है. इनकी जगह पर हिस्टोरिकल स्टडीज के डीन डॉ. पंकज मोहन को नालंदा विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति की जिम्मेवारी दी गयी है. नालंदा विश्विद्यालय के कुलाधिपति के पद पर डॉ. जार्ज यो को बरकरार रखा गया है.
राष्ट्रपति ने अटॉर्नी जनरल से कानूनी रायमशवरे के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के संचालक मंडल का पुनर्गठन किया है. नए संचालक मंडल में 13 सदस्य होंगे. जिसमें कुलाधिपति और कुलपति संचालक मंडल के पदेन सदस्य होते हैं. संचालक मंडल में भारत सहित पांच देशों के प्रतिनिधि रखे गए हैं. पिछले साल नालंदा विश्वविद्यालय को सबसे अधिक सहायता देने वाले देशों को वरीयता दी गयी है.