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नोटबंदी के पक्ष में थे नोबेल विजेता रिचर्ड, 2000 के नोट को बताया गलत

नोटबंदी को एक साल हो गया है. नोटंबदी को लेकर सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन कई जानकारों ने इसका समर्थन किया था. इन समर्थकों में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर रिचर्ड थेलर का नाम भी शामिल है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

नोटबंदी को एक साल हो गया है. नोटंबदी को लेकर सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन कई जानकारों ने इसका समर्थन किया था. इन समर्थकों में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर रिचर्ड थेलर का नाम भी शामिल है. बता दें कि रिचर्ड थेलर ने नोटबंदी के दौरान इसका समर्थन किया था और इसके समर्थन में ट्वीट भी किया था. थेलर ने इसे करप्शन के खिलाफ लड़ाई का एक पहला कदम बताया था.

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8 नवंबर को किए गए ट्वीट में थेलर ने नोटबंदी की घोषणा की खबर को टैग करते हुए लिखा था, 'यही वह पॉलिसी है, जिसके समर्थन में मैं लंबे वक्त से रहा हूं. यह कैशलेस व्यवस्था की तरफ पहला कदम है. भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में अच्छी शुरुआत.'

2000 के नोट की आलोचना

रिचर्ड थेलर ने नोटबंदी के ऐलान के बाद ट्वीट कर फैसले की तारीफ की थी. हालांकि, जब उन्हें पता चला कि सरकार 2000 का नोट भी ला रही है. तो उन्होंने इस फैसले की आलोचना भी की थी. थेलर ने ट्वीट किया था कि यह वह नीति है जिसका मैंने लंबे समय से समर्थन किया है. कैशलेस की ओर ये पहला कदम है.

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कौन है रिचर्ड थेलर

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1945 में अमेरिका के ईस्ट ऑरेंज में पैदा हुए अर्थशास्त्री थेलर को नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के अंतर को पाटने पर किए गए सराहनीय काम के लिए दिया गया है. पुरस्कार के निर्णायक मंडल ने एक बयान में कहा कि थेलर का अध्ययन बताता है कि किस प्रकार सीमित तर्कसंगता, सामाजिक वरीयता और स्व-नियंत्रण की कमी जैसे मानवीय लक्षण किसी व्यक्ति के निर्णय को प्रक्रियागत तौर पर प्रभावित करते हैं. इससे बाजार के लक्षण पर भी प्रभाव पड़ता है.

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