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बहादुरी और जज्बे की मिसाल बने यह जाबांज पायलट और उनकी बेटी

10 सेकेंड तो हमारी जिंदगी में यूं ही बीत जाते हैं लेकिन इस पायलट के पास सवारि‍यों की जान बचाने के लिए बस इतना ही वक्त था वरना मौत सामने थी.

Air Ambulance Air Ambulance
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2016,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

हम समय को कितना बर्बाद करते हैं. लेकिन यह घटना बताती है कि इंसान की जिंदगी में एक-एक सेकेंड की कितनी अहमियत होती है...

किसी ने कहा है कि दुनिया के सबसे बेहतरीन दिमाग हवाई उड़ान भरने का काम करते हैं. एक पायलट का किसी भी स्थिति में रिएक्शन टाइम आम जन से बेहतर होता है. उन्हें इसके बाबत ट्रेनिंग भी दी जाती है. हाल ही में पटना से दिल्ली आने वाली एयर एम्बुलेंस की इमरजेंसी क्रैश लैंडिंग दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में कराई गई. यह लैंडिंग अमित कुमार नामक पायलट ने कराई. इस लैंडिंग में उनकी बेटी ने भी भरपूर मदद की और सारे यात्रियों को सुरक्षित निकाल लाए.

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दरअसल यह घटना मंगलवार की है जब अलकेमिस्ट एयरलाइंस एयर लाइंस कुछ मरीजों को लेकर पटना से दिल्ली आ रही थी. इस जहाज के एक इंजन ने काम करना बंद कर दिया. पायलट ने जैसे ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल को यह मैसेज दिया तब तक उस एयर एम्बुलेंस का दूसरा इंजन भी जवाब दे गया. पायलट अमित के पास सिर्फ 10 सेकंड की समय था कि वे एयरपोर्ट के रास्ते में क्रैश लैंडिंग कराएं या फिर किसी घरेलू इलाके में उतार कर सबकी जान जोखिम में डाल दें.

बुद्धिमानी का दिया परिचय...
इस विमान के पायलट अमित कहते हैं कि वे एयरपोर्ट से लगभग 15 किलोमीटर दूर थे और वे किसी भी तरह वहां समय पर नहीं पहुंच सकते थे. वे दुविधा में थे. उनके दाईं तरफ हरियाणा था तो वहीं बाईं तरफ नजफगढ़ की इमारतें दिख रही थीं. उनके पास सिर्फ 10 सेकंड की मोहलत थी और तभी उन्हें नजफगढ़ के कैर गांव की खाली जगह दिखी. वहां उन्हें बिजली के पोल भी नहीं दिखे. वे एम्बुलेंस की क्रैश लैंडिंग का डिसिजन ले चुके थे.

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बेटी ने भी की मदद...
एक तरफ जहां पायलट मरीज और उनके साथ के 5 अन्य लोगों को सुरक्षित उतारने की जद्दोजहद कर रहे थे वहीं उनकी बेटी जूही रॉय अपने पिता को वहां से सुरक्षित निकालने की तरकीब सोच रही थीं. पायलट उस प्लेन में ब्लास्ट के अंदेशे पर सभी को सुरक्षित निकालने के प्रयास में लगे थे और जूही अपने जान की परवाह किए बगैर स्ट्रेचर निकालने में उनकी मदद कर रही थीं. ताकि वे भी जल्द-से-जल्द सुरक्षित दूरी तक पहुंच जाएं.

जब वे मरीज और सारे यात्रियों को सुरक्षित दूरी तक एक पेड़ के नीचे पहुंचा चुके तो जूही फिर से प्लेन में दाखिल हुईं. प्लेन में 400 लीटर ऑक्टेन होने की वजह से वह काफी खतरनाक हो चुका था. इसी खतरे के बीच वह ऑक्सीजन सिलेंडर निकाल लाईं ताकि उनके पिता की बिगड़ती हालत में सुधार लाया जा सके.

इस प्लेन में बैठने वाले तमाम यात्री पायलट अमित कुमार का शुक्रिया अदा करते नहीं थकते. वे किसी की शिकायत नहीं करते. हालांकि वे संबंधित अथॉरिटी से इस मामले में उचित जांच की बात जरूर कहते हैं ताकि ऐसी दुर्घटनाएं फिर से न हों.

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