
क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि देश में एक ऐसा स्कूल भी है, जहां पढ़ाने के लिए टीचर्स तो हैं तो पढ़ने वाला कोई नहीं.
जी हां, ऐसा स्कूल है. इसका नाम है गर्वमेंट अपर प्राइमरी संस्कृत स्कूल. ये स्कूल राजस्थान के सीकर जिले में प्रातपपुरा गांव में है. ये स्कूल दूसरे स्कूलों से इस मायने में अलग है कि यहां पसरी शांति की वजह है बच्चों का ना होना. ये स्कूल पूरी तरह से शांत है. ना क्लासरूम में कोई होता है और ना ही प्लेग्राउंड में.
कैसा है ये स्कूल
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कूल में 6 क्लासरूम हैं, चार अध्यापक हैं पर एक भी छात्र नहीं है. टीचर्स सुबह 8 बजे ही स्कूल आ जाते हैं.
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क्या करते हैं टीचर्स
पौधों को पानी देते हैं, अखबार पढ़ते हैं, एक-दूसरे से बात करते हैं और फिर 2 बजे घर चले जाते हैं. उनकी तनख्वाह तो समय से आती है पर वे अपनी जॉब से खुश नहीं हैं. स्कूल हेड सन्वरमल ने एचटी से कहा, 'हमें पूरे दिन बैठे रहने में शर्म आती है. कभी यहां पर 50 से ज्यादा छात्र हुआ करते थे पर पिछले कुछ सालों में परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं.'
इस स्कूल को 1998 में बनाया गया था. तब यहां पास के गांवों से भी बच्चे पढ़ने आते थे. 2005 में, बच्चों की संख्या 55 थी पर उसके बाद कम होती चली गई. 2015-16 में केवल चार बच्चे बचे और पिछले साल पेरेंट्स ने उन्हें भी स्कूल से निकाल लिया.
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टीचर्स ने इस बाबत राज्य के एजुकेशन डिपार्टमेंट को खत लिखकर कहा थी है कि वे उन्हें जयपुर शिफ्ट कर दें या पास के ऐसे स्कूलों में ट्रांसफर कर दें जहां संस्कृत अध्यापकों की जरूरत हो. पर कई महीने बीत जाने के बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.