
भारत के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर यशपाल का निधन हो गया है. वे 90 साल के थे. यशपाल ने देश में वैज्ञानिक प्रतिभाओं को निखारने में विशेष योगदान दिया था. इसे देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें साल 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.
इससे पहले उन्हें साल 1976 में पद्म भूषण से भी नवाजा गया था. यशपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से साल 1949 में फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया और फिर साल 1958 में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी से फिजिक्स में ही PHD की.
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अनेक पदों पर रहे
यशपाल ने अपने करियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी. 1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया गया. 1983-84 में वे प्लानिंग कमीशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे. विज्ञान व तकनीकी विभाग में वो सचिव रहे. इसके अलावा उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई. यशपाल दूरदर्शन पर टर्निंग पाइंट नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे.
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शिक्षा के क्षेत्र में
यशपाल का शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा. वो शिक्षा में ओवरबर्डन पढ़ाई के सख्त खिलाफ थे. इसलिए उन्होंने इस मुद्दे की ओर भारत सरकार का कई बार ध्यान आकर्षित किया. उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि उनकी अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा लर्निंग विदाउट बर्डन नाम की एक रिपोर्ट तैयार की गई, जो शिक्षा के क्षेत्र के लिए बेहद प्रासंगिक थी. शिक्षा के क्षेत्र में उनके रुझान और आइडियाज को देखते हुए साल 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया. साल 1970 में यशपाल के होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली.
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NCERT ने जब नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क बनाया, तब यशपाल को इसका चेयरपर्सन बनाया गया. हायर एजुकेशन में मानव संसाधन मंत्रालय ने 2009 में यशपाल कमेटी बनाई. कमेटी ने हायर एजुकेशन में काफी बदलाव के सुझाव दिए.