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साड़ी पर लिखे रामायण के सात खंड, ब्रिटिश यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित

बिरेन कुमार बसाक के पुत्र अभिनब बसाक का कहना है कि साड़ी को लगभग 20 साल हो चुके हैं, अब ये साड़ी अपनी चमक खोने लगी है.

 Biren Kumar Basak (Photo: Facebook) Biren Kumar Basak (Photo: Facebook)
अनुज कुमार शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के बिरेन कुमार बसाक ने बीस बरस पहले छह गज की एक साड़ी बुनी थी, जिस पर उन्होंने रामायण के सात खंड उकेरे थे. जिसके लिए ब्रिटेन की वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट (Ph.D) की मानद उपाधि से सम्मानित किया है. इस स्वायत्त संस्थान की स्थापना विश्व की रिकार्ड पुस्तकाओं के समूह द्वारा की गई है.

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जब शुरू किया साड़ी पर रामायण की कथा उकेरने का काम

बसाक को नई दिल्ली में हुए एक समारोह में यह सम्मान दिया गया था. वहां उन्होंने बताया कि धागों में रामायण की कथा उकेरने की तैयारी में उन्हें एक साल का समय लगा जबकि दो साल उसे बुनने में लगे. उन्होंने 1996 में इसे तैयार किया था. ये साड़ी 6 गज की है.

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उन्होंने बताया कि कोई कथा कहने वाली यह अपनी तरह की पहली साड़ी थी. बता दें,  हालांकि बसाक की छह गज की साड़ी पर यह जादुई कलाकृति उन्हें इससे पहले भी राष्ट्रीय पुरस्कार, नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट अवार्ड, संत कबीर अवार्ड दिला चुकी है. वहीं लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड, इंडियन बुक ऑफ रिकार्ड्स और वर्ल्ड यूनीक रिकार्ड्स में भी उनका नाम दर्ज है.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बसाक के पुत्र अभिनब बसाक का कहना है कि साड़ी को लगभग 20 साल हो चुके हैं, अब ये साड़ी अपनी चमक खोने लगी है और वह इसे संरक्षित करने के लिए कोशिश की जा रही है.

मुंबई की एक कंपनी ने वर्ष 2004 में बसाक को इस साड़ी के बदले में आठ लाख रुपये देने की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. साड़ी पर रामायण उकेरने के बाद अब बसाक की योजना रबींद्रनाथ ठाकुर के जीवन को उकेरने की है और इसके लिए वह तैयारी कर रहे हैं.

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