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हाथ नहीं होने के बावजूद तलवारबाजी में जीता पदक

जहां लोग छोटी-छोटी असफलताओं से घबरा जाते हैं वहीं ये लड़कियां शारीर‍िक अक्षमताओं के बावजूद सफलता की नई मिसाल पेश कर रही हैं...

Inspirational stories of girls from Chhattisgarh Inspirational stories of girls from Chhattisgarh
स्नेहा/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 4:41 PM IST

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की मंजू, उत्तरा, दीक्षा और सीता के पैरों में भले जान नहीं है, लेकिन तलवारबाजी में इनका कोई जवाब नहीं. अरुणा का भी एक हाथ नहीं है, लेकिन उसने तलवारबाजी में कई पदक हासिल कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है.

इसी तरह ममता भी दोनों पैरों से निशक्त है, लेकिन तैराकी में अच्छे-अच्छों को मात देती है. उसने तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में राष्ट्रीय स्तर पर कई जीत हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है. शारीरिक अक्षमता भी इनके हौसलों को हिला नहीं पाई, तभी तो राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी और तैराकी की विभिन्न स्पर्धाओं में उन्होंने अपना एक गौरवपूर्ण मुकाम हासिल किया है.

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बीए प्रथम वर्ष की छात्रा दीक्षा तिवारी ने बताया कि तलवारबाजी की विभिन्न राष्ट्रीय स्पर्धाओं में उसने कुल पांच स्वर्ण पदक हासिल किए हैं. अभी वह कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर का प्रशिक्षण भी ले रही है.

दीक्षा ने बताया कि वह ट्राय साइ‍कि‍ल से रोज कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र जाती है. वह अपने सारे दैनिक कार्य स्वयं पूरा करती है. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह खुद अपना कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहती हैं.

मंजू यादव राष्ट्रीय स्तर पर एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीत चुकी है. इसी प्रकार एम.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा उत्तरा नारंग ने तलवारबाजी की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक हासिल किए.

वहीं कक्षा 12वीं की छात्रा सीता साहू ने राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक, बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा अरुणा रावतकर ने राष्ट्रीय स्तर की तलवारबाजी प्रतियोगिताओं में तीन स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक हासिल किया है.

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बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा ममता मिश्रा तैराकी की अलग-अलग कलाओं जैसे-बटर फ्लाई, बैक स्ट्रोक, ए फ्री स्टाइल में माहिर है. ममता ने अब तक तैराकी की विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीता है. वह भव‍िष्य में शिक्षक बनना चाहती है.

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर जिले की रहने वाली इन हुनरमंद छात्राओं को अभी हाल ही में आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यहां राजधानी रायपुर स्थित इंडोर स्टेडियम में राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन में सम्मानित किया था. कहने को तो ये किशोरियां निशक्त हैं, लेकिन आज समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं.

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