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World Environment Day: ई-वेस्ट पैदा करने में भारत 5वें नंबर पर

आज दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है और इस दिन को मनाने के मकसद पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:20 AM IST

आज दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है और इस दिन को मनाने के मकसद पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने साल 1972 में इसकी घोषणा की थी, लेकिन पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया और इसबार 45वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. इस साल भारत पर्यावरण दिवस होस्ट कर रहा है और इस साल की थीम 'बीट प्लास्टिक पोल्यूशन' रखी गई है.

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भारत भले ही इस साल पर्यावरण दिवस होस्ट कर रहा हो, लेकिन भारत पर्यावरण संरक्षण के मामले में बहुत पीछे है. सरकार की ओर से स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट शहर परियोजना पर जोर दिए जाने के बाद भी भारत ई-कचरा पैदा करने वाले शीर्ष पांच देशों में बना हुआ है. एसोचैम-नेक की ओर से हाल ही में कराए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.

इस रिपोर्ट के अनुसार, ई-कचरा पैदा करने वाले देशों की सूची में चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे देश टॉप स्थान पर बने हुए हैं. यह अध्ययन पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महाराष्ट्र ई-कचरा में सर्वाधिक 19.8 फीसदी का योगदान करता है और मात्र 47,810 टन सालाना रिसाइकिल करता है, जबकि तमिलनाडु 13 फीसदी का योगदान करता है और 52,427 टन रिसाइकिल करता है.

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वहीं उत्तर प्रदेश 10.1 फीसदी का योगदान और 86,130 टन कचरा रिसाइकिल करता है. इसके बाद पश्चिम बंगाल (9.8 प्रतिशत), दिल्ली (9.5 प्रतिशत), कर्नाटक (8.9 प्रतिशत), गुजरात (8.8 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (7.6 प्रतिशत) ई-कचरे में अपना योगदान देते हैं. भारत में करीब 20 लाख टन सालाना ई-कचरा पैदा होता है और कुल 4,38,050 टन कचरा सालाना रिसाइकिल किया जाता है.

ई-कचरे में आम तौर पर हटाए गए कंप्यूटर मॉनीटर, मदरबोर्ड, कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी), प्रिंटिड सर्किट बोड (पीसीबी), मोबाइल फोन व चार्जर, कॉम्पैक्ट डिस्क, हेडफोन के साथ लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी)/प्लाज्मा टीवी, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर शामिल हैं. रिपोर्ट में सामने आया है कि 'असुरक्षित ई-कचरे की रीसाइकिलिंग के दौरान उत्सर्जित रसायनों/प्रदूषकों के संपर्क में आने से तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रणाली, गुर्दे व मस्तिष्क विकार, श्वसन संबंधी विकार, त्वचा विकार, गले में सूजन, फेफड़ों का कैंसर, दिल, यकृत को नुकसान पहुंचता है.

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एसोचैम-नेक द्वारा भारत में इलेक्ट्रिकल्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्च रिंग पर किए गए संयुक्त अध्ययन के मुताबिक, ई-कचरे की वैश्विक मात्रा 20 प्रतिशत की संयुक्त वृद्धि दर से 2016 में 4.47 करोड़ टन से 2021 तक 5.52 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है.

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