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गुजरात चुनाव: एक ऐसा नेता जो अहमदाबाद से दिल्ली नंगे पांव चला आया

अहमद पटेल के घर से निकलते ही PASS प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को मीडिया ने घेर लिया. ऐसे में मनोज के पैरों पर इस रिपोर्टर की नजर पड़ी तो चौंकने वाली बात थी. सफेद कमीज और नीली जींस पहने मनोज खुरदुरी सड़क पर नंगे पैर ही खड़े थे.

मनोज पनारा मनोज पनारा
अंकुर कुमार/मौसमी सिंह/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली ,
  • 17 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:38 PM IST

लुटियंस जोन राजधानी दिल्ली का हाईप्रोफाइल इलाका. यहां ’23, मदर टेरेसा क्रिसेंट’  स्थित कांग्रेस नेता अहमद पटेल के आवास से शुक्रवार को बाहर निकलते हैं मनोज पनारा. बता दें कि मनोज का ताल्लुक पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PASS) से है. वे हार्दिक पटेल के दूतों के तौर पर PASS के उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं जो कांग्रेस से निर्णायक बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंचा है. कांग्रेस के साथ बैठक से पहले ये प्रतिनिधिमंडल अहमद पटेल से मुलाकात करने के लिए पहुंचा.

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अहमद पटेल के घर से निकलते ही PASS प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को मीडिया ने घेर लिया. ऐसे में मनोज के पैरों पर इस रिपोर्टर की नजर पड़ी तो चौंकने वाली बात थी. सफेद कमीज और नीली जींस पहने मनोज खुरदुरी सड़क पर नंगे पैर ही खड़े थे. उन्हें देखकर यही ध्यान आया कि शायद उन्होंने ये संकल्प लिया हो कि पाटीदार समुदाय को जब तक आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक वे पैर में जूता-चप्पल नहीं पहनेंगे.  

लेकिन जब मनोज से कहा गया कि ‘सर, जूते तो पहन लीजिए’ तो मनोज मुस्कुरा कर बोले, ‘जूते तो मैंने पिछले 6 साल से नहीं पहने.’  मनोज का ये जवाब सुनकर जानने की उत्सुकता और बढ़ गई कि उनके जूते-चप्पल नहीं पहनने का आखिर राज क्या है? आखिर कैसे एक नेता अहमदाबाद से दिल्ली नंगे पैर कैसे आ गया. वो नेता जिसकी कमीज से सफेदी की झंकार झलक रही थी. जींस भी मॉर्डन आउटलुक की गवाही दे रही थी.

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मनोज ने आखिर खुद ही नंगे पैर रहने के राज से पर्दा हटाया. मनोज के मुताबिक वे गोसेवक हैं और उन्होंने 7 साल तक नंगे पैर रह कर गौ सेवा करने का प्रण ले रखा है. मनोज ने कहा, ‘भगवान कृष्ण ने भी 7 साल तक नंगे पैर रहकर गऊ माताओं की सेवा की थी, उन्हीं से मुझे भी ऐसा करने की प्रेरणा मिली.’

पेशे से किसान मनोज मोरबी के रहने वाले हैं. अपने गांव में उन्होंने एक गौशाला बनवाई है जिसमें अभी लगभग 200 गीर गाय हैं. मनोज के मुताबिक तन, मन, धन जहां तक उनसे संभव होता है वे गायों की सेवा करते हैं.

कथित गोसेवकों के नाम पर गलत हरकतें करने वाले तत्वों के बारे में मनोज की यही राय थी कि सच्चे मन से गोसेवा करने और इसके नाम पर राजनीति करने में बहुत फर्क होता है. मनोज ये भी कहते हैं कि गोसेवक होने का किसी के पास पेटेंट नहीं है. इसी तरह भगवान राम और कृष्ण में कोई भी सच्चे मन से श्रद्धा रखने वाला हो सकता है.

आज के दौर की राजनीति में जहां ब्रैंडेड कपड़ों, पांच सितारा रहन सहन और हाईफाई कम्युनिकेशन का बोलबाला दिखता है वहां, मनोज पनारा का कुछ हट कर ये संकल्प खुद ही अपनी ओर ध्यान खींचता है.

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