
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर की 93 सीटों पर वोटिंग जारी है. इस चरण में राज्य के जातीय आंदोलन से सियासी राह पकड़ने वाले गुजरात के युवा त्रिमूर्ति की आज असल परीक्षा है. गुजरात में कांग्रेस के पास कोई कद्दावर चेहरा नहीं था, जिसके सहारे चुनाव में उतरती. ऐसे में कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पेटल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी पर भरोसा जताया. कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अल्पेश बनासकांठा से और कांग्रेस के समर्थन से जिग्नेश मेवाणी वडगामा सीट से मैदान में हैं. हार्दिक चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन बीजेपी के खिलाफ सियासी माहौल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है.
दूसरे दौर में 30 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां ओबीसी वोट निर्णायक भूमिका में है. कांग्रेस के ओबीसी चेहरा हैं अल्पेश ठाकोर हैं. अल्पेश ने अपनी राजनीति की शुरूआत राज्य में शराबबंदी के खिलाफ अभियान चलाकर की थी. उन्होंने एक ठाकोर सेना बनाई थी जो राज्य में गुजरात में अवैध शराबबंदी के ठिकानों का भंडाफोड़ करती थी. अल्पेश इस आंदोलन के बहाने ओबीसी को अपने पीछे एकजुट करनें में कामयाब रहे हैं. लेकिन चुनाव में उसे कांग्रेस के पक्ष में करने में कामयाब होते हैं ये कहना मुश्किल है. अल्पेश कांग्रेस का दामन थामकर बनासकांठा से उम्मीदवार हैं. अल्पेश के कहने से कांग्रेस ने उनके 7 समर्थकों मैदान में उतारा है. अल्पेश के सामने खुद को और अपने समर्थकों को चुनाव जिताने के साथ-साथ ओबीसी वोट को कांग्रेस पक्ष में करने की बड़ी चुनौती हैं. बीजेपी ने भी ओबीसी वोटबैंक को अपने पक्ष में करने के लिए खास रणनीति बनाई है.
हार्दिक के सामने चुनौती
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल बीजेपी के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए हैं. इस दौर में हार्दिक की अग्निपरीक्षा है. इसके अलावा वही इलाके हैं, जहां पटेल आरक्षण आंदोलन की जमीन गवाह बनी थी. दूसरे दौर में 15 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो पाटीदार समाज किंग मेकर की भूमिका में है.बीजेपी के कद्दावर नेता और डिप्टी सीएम मेहसाणा से उम्मीदवार हैं. ऐसे में हार्दिक के सामने बीजेपी के खिलाफ पाटीदारों के वोट डलाने की चुनौती है. पटेलों की नाराजगी के चलते बीजेपी को अहमदाबाद की शहरी सीट, निकोल और बापूनगर सहित एक बड़ी चुनौती बनी
जिग्नेश मेवाणी को ऊना के दलित आंदोलन के दौरान पहचान मिली. बीजेपी के खिलाफ मुखर हैं. जिग्नेश वडगाम सीट से निर्दलीय मैदान में हैं. कांग्रेस का उन्हें समर्थन हासिल है. लेकिन जिग्नेश के खुद मैदान में हैं, बीजेपी ने उनके खिलाफ मजबूत घेराबंदी की है. जिग्नेश अपनी सीट तक ही सीमित हैं और राज्य की बाकी सीटों पर वो प्रचार में नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में जिग्नेश कार्ड के जरिए कांग्रेस का फायदा उठाने का खेल गड़बड़ाता नजर आ रहा है.