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गुजरात में कांग्रेस से बगावत महंगी पड़ी, न घर के न घाट के

राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बागी बने विधायकों में से 7 को बीजेपी ने उम्मीदवार के तौर पर रणभूमि में उतारा था. इनमें से दो को छोड़कर सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार के हाथों इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.

शंकर सिंह वघेला और पीएम नरेंद्र मोदी शंकर सिंह वघेला और पीएम नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद/गोपी घांघर
  • नई दिल्ली\ अहमदाबाद,
  • 19 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी लगातार छठवीं बार सियासी जंग जीतकर सत्ता के सिहांसन पर काबिज हुई है. जबकि कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी का दामन थामना कुछ नेताओं को महंगा पड़ा. राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बागी बने विधायकों में से 7 को बीजेपी ने उम्मीदवार के तौर पर रणभूमि में उतारा था. इनमें से दो को छोड़कर सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार के हाथों इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.

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बता दें कि राज्यसभा चुनाव के दौरान शंकर सिंह वघेला और उनके बेटे सहित 14 विधायक कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी उम्मीदवार के संग खड़े हुए थे. इनमें कई विधायक बीजेपी में बकायदा शामिल हो गए थे. लेकिन शंकर सिंह वघेला और उनके बेटे महेंद्र सिंह वघेला ने बीजेपी ज्वाइन नहीं किया और न ही चुनाव में लड़े. हालांकि उन्होंने कई जगह तीसरे मोर्च के तहत कई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.  

कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी का दामन थामने वाले 7 विधायकों को पार्टी ने टिकट देकर मैदान में उतारा. इनमें से महज दो जीत को नसीब हुई, बाकी 5 को हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस से बगवात के काम नहीं आई

कांग्रेस के बागी बने विधायक माणसिंह चौहान को बीजेपी ने बलासिनोर से उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने उनके मुकाबले अजीत सिंह पर्वत सिंह चौहान को उतारा. मोदी लहर में माणसिंह चौहान की नैया पार नहीं हो सकी. कांग्रेस के उम्मीदवार ने उन्हें 10 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी.

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कांग्रेस से बागवत करके बीजेपी का दामन थामने वाले राम सिंह परमार को पार्टी ने थसरा विधानसभा से उम्मीदवार के तौर पर उतारा था. कांग्रेस ने उन्हीं के समाज के कांतीभाई परमार को उनके सामने उतारा था. कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी उम्मीदवार को करीब 7 हजार वोटों से मात दी है.

वीरगाम विधानसभा सीट से बीजपी ने कांग्रेस के बागी डॉ. तेजश्रीबेन पटेल को मैदान में उतारा था. कांग्रेस ने उनके सामने भरवाड़ लाखाभाई को मैदान में उतारा. तेजश्रीबेन पटेल को कांग्रेस से बगावत महंगी पड़ी उन्हें करीब 7 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है.

जामनगर ग्रामीण से कांग्रेस के विधायक रहे राघवजी पटेल को बीजेपी ने इसी सीट से उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने उनके सामने धराबिया वेलजी भाई को उतारा. कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी के दामन थामने वाले राघवजी पटेल को 6 हजार मतों से हराया है.

2012 के विधानसभा चुनाव में भिलोडा से पी सी बरांदा चुनाव जीते थे. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी का दामन थामा, पार्टी ने भिलोडा से पी सी बरांदा को उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने बरंदा के सामने डॉ. अनिल जोशियारा को मैदान में उतारा.पी सी बरांदा को बीजेपी दामन थामना महंगा पड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार से करीब 13 हजार वोटों से करारी हार मिली.

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कांग्रेस के दो बागी ही जीत सके

गोधरा से कांग्रेस के बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सीके रॉलजी को को उम्मीदवार बनाया. कांग्रेस ने उनके सामने राजेंद्र सिंह परमार को उतारा. कांग्रेस उम्मीदवार ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. रॉलजी अपनी सीट बचाने में किसी तरह कामयाब रहे हैं. रॉलजी ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह परमार को महज 258 वोटों से हराया है.

राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के बगावत करके बीजेपी का दामन थामने वाले धर्मेंद्र सिंह जडेजा को पार्टी ने जामनगर उत्तर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था. कांग्रेस ने उनके सामने अहिर जीवनभाई कुमभारवाडिया के मैदान में उतारा. धर्मेंद्र सिंह जडेजा इस सीट पर अपनी बादशाहियत को बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को करीब 41 हजार वोटों से मात दी है.

वघेला परिवार गुजरात की सियासत से दूर

शंकर सिंह वघेला और उनके बेटे महेंद्र सिंह वघेला गुजरात की राजनीति में अब किसी भी सदन के सदस्य नहीं रह गए हैं. जबकि एक दौर में शंकर सिंह वघेला राज्य के सीएम ही नहीं थे, बल्कि दूसरे बापू के नाम से अपनी पहचान बनाई थी. लेकिन कांग्रेस से बगावत उन्हें महंगी पड़ी. वघेला परिवार से कोई भी सदस्य चुनाव में नहीं उतरे थे, लेकिन उन्होंने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से एक भी जीत नहीं सका है. इस तरह गुजरात की सियासत वघेला परिवार दूर हो गया है.

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