
गुजरात के रण में एक बार फिर मोदी-शाह की जोड़ी के आगे कैप्टन राहुल परास्त हो गए. दो दशक से ज्यादा लगातार सत्ता पर काबिज बीजेपी का विजयी रथ पांच साल के लिए फिर निकल पड़ा. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य में इस शानदार जीत पर जनता का अभिवादन किया और इस फतह को असामान्य बताया.
दरअसल, पाटीदारों के जबरदस्त गुस्से और कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल के बाद मिली इस जीत को पीएम मोदी ने तो असामान्य करार दिया ही, साथ ही कई और मायनों में भी चुनावी नतीजे बीजेपी के सामान्य नहीं है. सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद बीजेपी को कई मोर्चों पर पिछड़ती नजर आई है.
1. सीटों में गिरावट
बीजेपी ने गुजरात में 2012 का विधानसभा चुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा था. पार्टी को कुल 115 सीटें मिली थीं. इस बार नरेंद्र मोदी पीएम हैं, जिसके चलते बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम विजय रूपाणी समेत पूरी भगवा ब्रिगेड 150 से ज्यादा सीटें जीतने के दावे कर रही थी. लेकिन सोमवार को आए नतीजे झटका साबित हुए. बीजेपी अपनी पुरानी संख्या बनाए रखने में भी कामयाब नहीं हो सकी और उसे 16 सीटों का नुकसान हुआ.
2. पहली बार शतक से चूकी बीजेपी
बीजेपी 22 सालों से गुजरात में शासन कर रही है. अविरल विजयी का ये प्रवाह 1995 के विधानसभा चुनाव से आरंभ हुआ और बीजेपी को 121 सीटें मिलीं. इसके बाद 1998 के चुनाव में पार्टी ने अपना बेहतर प्रदर्शन जारी रखा और इस बार 117 सीटों पर जीत दर्ज की. इसके बाद 2002 में 127, 2007 में 117 और 2012 में 115 सीटों पर बीजेपी ने परचम लहाराया. लेकिन 2017 में वो 'नर्वस 90' का शिकार हो गई और 99 सीटों पर ही सिमट गई.
मौजूदा चुनाव में बीजेपी की सीटें घटी हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में उसके वोट प्रतिशत में 1.25% का इजाफा हुआ है. वहीं अगर इस चुनाव की तुलना 2014 में मोदी लहर के बीच हुए लोकसभा चुनाव से की जाए तो तस्वीर विपरीत नजर आती है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी 59 फीसदी वोट मिला था, जबकि इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी को 49 फीसदी वोट मिला. यानी 10 फीसदी का नुकसान.
जबकि कांग्रेस की बात की जाए उसे 2014 आम चुनाव में गुजरात की जनता से 32.9% वोट हासिल हुए थे. जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में उसे 41.4 फीसदी मत मिले हैं, यानी कांग्रेस को करीब 10 फीसदी का फायदा हुआ है. दूसरी तरफ 2012 के विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो कांग्रेस को इसमें भी बीजेपी से ज्यादा फायदा हुआ है. कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2012 की तुलना में 39 फीसदी से बढ़कर 42 तक पहुंच गया है, जबकि बीजेपी को महज 1 फीसदी की ही बढ़त मिल सकी.
4. मंत्रियों को मिली हार
इस चुनाव में गुजरात सरकार के कई मंत्री भी अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे हैं और उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा है. इनमें बनासकांठा की वाव सीट से शंकर चौधरी हार गए, जो स्वास्थ्य मंत्री थे. बोटाद कि गढ्डा सीट से आत्माराम परमार को हार का मुंह देखना पड़ा, वो गुजरात सरकार के सामाजिक न्यायमंत्री थे. वहीं बनासकांठा की दीयोदर सीट से लड़े सामाजिक न्याय राज्यमंत्री केशाजी ठाकोर भी परास्त हो गए. सोमनाथ से लड़े जल आपूर्ति मंत्री जशा बारड़ और कृषि मंत्री चिमन सापरीया भी अपनी सीट नहीं बचा सकें.
5. मध्य गुजरात और सौराष्ट्र में नुकसान
सौराष्ट्र पाटीदार बाहुल्य क्षेत्र है. गुजरात की राजनीति में सौराष्ट्र की काफी अहम भूमिका. राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 54 सीटें इस क्षेत्र से आती हैं. इस क्षेत्र में कांग्रेस को फायदा मिला है. कांग्रेस को 29 सीटें मिली है. जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली है. पिछले 2012 के चुनाव में 35 सीटें बीजेपी को और 16 कांग्रेस और 3 अन्य को मिली थी.
54 सीटें इस क्षेत्र से आती हैं. इस क्षेत्र में कांग्रेस को फायदा मिला है. कांग्रेस को 29 सीटें मिली है. जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली है. जबकि पिछले 2012 के चुनाव में 35 सीटें बीजेपी को और 16 कांग्रेस और 3 अन्य को मिली थी.