
हरियाणा की सियासत में ताऊ चौधरी देवीलाल की जबरदस्त तूती बोलती थी. देवीलाल की पार्टी ने 1987 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 में से 85 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया था. देवीलाल की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने संभाला और मुख्यमंत्री बने. 32 साल के बाद उनकी विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट गया है. इनेलो की कमान जहां ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है तो भतीजे दुष्यंत चौटाला अलग पार्टी बनाकर यह साबित करते नजर आ रहे हैं कि देवीलाल की विरासत वही संभालेंगे.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के मंगलवार को आए एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 32 और 44 के बीच सीट मिलती दिख रही हैं. जबकि, कांग्रेस को 30 से 42 सीटें मिलने का अनुमान तो जेजेपी को 6 से 10 सीटें और अन्य के खाते में 6 से 10 सीटें जाती दिख रही हैं. एग्जिट पोल के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में इनेलो पूरी तरह से साफ होती दिख रही है. जबकि इनेलो से अलग होकर बनी जेजेपी किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रही है.
चौधरी देवीलाल का रहा दबदबा
हरियाणा की सियासत में चौधरी देवीलाल दो बार के सीएम रहे. हरियाणा के साथ-साथ पंजाब में विधायक रहे देवीलाल दो अलग-अलग सरकारों में देश के उपप्रधानमंत्री भी बने. देवीलाल की राजनीतिक विरासत बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने संभाली और चार बार हरियाणा के सीएम रहे. तीन दशक के बाद देवीलाल की विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट चुका है.
ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली है. जबकि इनेलो की कमान ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है. अजय चौटाला जेल में हैं तो उनकी विरासत उनके दोनों बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला संभाल रहे हैं. इनेलो और जेजेपी दोनों पार्टियां अपने वजूद को बचाए रखने के लिए चुनावी मैदान में उतरी थी.
दादा और चाचा से बगावत कर चुनाव में उतरे
दुष्यंत चौटाला दादा और चाचा से बगावत कर हरियाणा में किस्मत आजमा रहे थे. उन्होंने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. दुष्यंत चौटाला अपने चुनाव प्रचार में दादा और चाचा का जिक्र करने के बजाय अपने परदादा ताऊ चौधरी देवीलाल के नाम पर वोट मांग रहे थे. हरियाणा युवा जाट बड़ी तादाद में जेजेपी से जुड़ा. इसी का नतीजा है कि जेजेपी को एग्जिट पोल में 6 से 10 विधानसभा सीटें मिलती नजर आ रही हैं.
वहीं, इनेलो की कमान संभाल रहे ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ने हरियाणा के रण में कुल 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. चौटाला के जीवन में यह चुनाव सबसे कठिन रहा है. इनेलो के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. ऐसे में एग्जिट पोल में भी इनेलो को गिनती की सीटें मिलती दिख रही हैं. एक तरह से हरियाणा की सियासत से पूरी तरह साफ होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला के राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं.