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क्या आजसू से अलग चुनाव लड़कर बीजेपी ने सियासी गलती कर दी?

झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजे के अभी तक आए रुझानों से साफ पता चलता है कि बीजेपी और आजसू मिलकर चुनाव लड़तीं तो सूबे की सियासी तस्वीर दूसरी होती.

सीएम रघुवर दास और आजसू प्रमुख सुदेश महतो सीएम रघुवर दास और आजसू प्रमुख सुदेश महतो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

  • झारखंड में बीजेपी-आजसू अलग-अलग चुनावी लड़ीं
  • झारखंड चुनाव नतीजे में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं

झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के साथ नाता तोड़कर अलग चुनाव नहीं लड़ना मंहगा पड़ा है. झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजे के अभी तक आए रुझानों से साफ पता चलता है कि बीजेपी और आजसू मिलकर चुनाव लड़तीं तो सूबे की सियासी तस्वीर दूसरी होती .

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एक वक्त झारखंड चुनाव के रुझानों से ऐसा लग रहा था कि अगर बीजेपी और जेएमएम मिलकर चुनावी मैदान में उतरते तो ये आंकड़े कुछ अलग हो सकते थे. हालांकि शाम होते-होते जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर ली और बीजेपी सत्ता से दूर रह गई.

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झारखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 79 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. जबकि, आजसू ने 58 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. ऐसे में साफ है झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 58 सीट पर बीजेपी-आजसू प्रत्याशी आमने-सामने थे और दोनों दलों के बीच वोट बंटवारा हुए है. आजसू ने पांच ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवार उतारकर बीजेपी को सीधे चुनौती दे दी है, जो फिलहाल बीजेपी के कब्जे में हैं.इस तरह से अगर दोनों पार्टियां एक साथ चुनावी मैदान में उतरतीं तो इन 58 सीटों पर दोनों दलों के वोट एकमुश्त मिलते. इस तरह से बीजेपी और आजसू को स्पष्ट बहुमत मिलता.

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बता दें कि कि झारखंड बनने के बाद से बीजेपी और आजसू साथ रही हैं, लेकिन इस बार चुनाव में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर बात नहीं बन सकी. इसके चलते दोनों पार्टियां अलग-अलग होकर मैदान में उतरी थी. इसके चलते सियासी परिदृश्य बदल गया था और इसका चुनावी नतीजों पर भी दिख रहा है.

2014 में आजसू 8 विधानसभा सीटों पर लड़कर पांच सीटें जीती थीं. आजसू इस बार के चुनाव में शुरुआत से ही बीजेपी से 17 सीटें मांगी थीं, लेकिन बीजेपी इस पर राजी नहीं हुए. इसी के चलते बीजेपी-आजसू के बीच गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन सकी और गठबंधन टूट गया था. इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के टिकट कटने से नाराज नेताओं की पहली पसंद भी आजसू बनी, जिसका लाभ पार्टी प्रमुख सुदेश महतो ने भरपूर तरीके से उठाया है.

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी-AJSU ने राज्य में 14 में 12 सीटें जीती थीं और 56 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इस चुनाव में सिर्फ बीजेपी को ही 52 प्रतिशत वोट मिले थे. अगर लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू के इस प्रदर्शन को विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो निष्कर्ष निकलता है कि बीजेपी और आजसू 63 विधानसभा सीटों पर आगे रही थीं. इसका साफ समझा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में दोनों मिलकर लड़ते तो नतीजे कुछ और भी होते.

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