
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी का भी साथ चाहती है. कांग्रेस के नेता इंडिया गठबंधन की कवायद की शुरुआत से ही यह कहते रहे हैं कि मायावती की पार्टी के लिए हमारे दरवाजे अंतिम समय तक खुले हुए हैं. अब कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा है कि हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं, चाहे वह सपा हो, बसपा हो या कोई और दल.
उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ सभी दल मिलकर लड़ें. अविनाश पांडेय ने अखिलेश यादव को परिपक्व नेता बताया और कहा कि वह उत्तर प्रदेश का नेतृत्व कर चुके हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास है कि अगर बीजेपी को हराना है तो सभी दलों को साथ आना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर बसपा चाहती है कि बीजेपी को हराया जाए तो उसे भी फैसला लेना होगा.
एक तरफ कांग्रेस जहां बसपा से गठबंधन को लेकर खुलकर बैटिंग कर रही है. वहीं, सपा इस पूरी कवायद से अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर रही है. सपा महासचिव और कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत कर रहे रामगोपाल यादव ने इसे लेकर कहा है कि यह तो मीडिया बोलती है. उन्होंने कहा कि मैंने तो किसी से बसपा के बारे में सुना ही नहीं.
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कांग्रेस कह रही है कि यूपी में बसपा भी साथ आए. हाथी के नाम पर समाजवादी पार्टी अनजान बन रही है. सपा और बसपा के नेताओं में जुबानी जंग छिड़ी हुई है. वहीं, मायावती ने गेस्टहाउस कांड का जिक्र करते हुए सपा से खतरा बताते हुए यूपी सरकार से सुरक्षा मांगी है. मायावती ने कहा कि सपा के तत्व अराजकता फैला सकते हैं. बीजेपी ने भी इसे लेकर सपा पर हमला बोल दिया है. यूपी की सत्ताधारी पार्टी ने सपा को गुंडा और समाप्तवादी पार्टी बताया है.
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यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसे लेकर कहा है कि मायावती ने खुद कहा है कि समाजवादी पार्टी से खतरा है. समाजवादी पार्टी गुंडागर्दी कभी नहीं छोड़ सकती. माफियाओं का साथ नहीं छोड़ सकती.अपराधियों के खिलाफ कभी खड़ी नहीं हो सकती.
मायावती ने एक्स पर क्या किया था पोस्ट
गौरतलब है कि मायावती ने 8 जनवरी को एक्स पर पोस्ट कर सपा को पिछड़ा और दलित विरोधी पार्टी बताया था. मायावती ने अपने पोस्ट में यह भी कहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र और चेहरा बदलने का प्रयास किया लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद सपा फिर से अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ गई. अब सपा मुखिया जिससे भी गठबंधन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है.
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मायावती ने गेस्टहाउस कांड का जिक्र करते हुए भी सपा को घेरा था और यह भी कहा था कि अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिए गए हैं. जिनमें बसपा यूपी स्टेट ऑफिस के पास ऊंचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहां से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों और राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाएं वहां से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करनी पड़ीं.
(समाचार एजेंसियों के इनपुट के साथ)