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पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मी तेज है. राज्य में अब तक चार चरणों का मतदान हो चुका है. अब तक कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं. बीरभूम और कुछ अन्य विधानसभाओं का सियासी दंगल तो पूरी तरह बैलेट की बजाय बुलेट के सहारे जीतने की तैयारी चल रही है.
'इंडिया टुडे' की पड़ताल के मुताबिक, राज्य के अलग-अलग हिस्सों से लोग इन जगहों पर आकर बम बना रहे हैं और रोजाना 10 हजार से 40 हजार रुपये तक कमा रहे हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है बम बनाने के खतरे और दाम दोनों में इजाफा हो रहा है. बम बनाने वाले अपनी जिंदगी की फिक्र करते हैं लेकिन पैसा देखकर वह सब भूल जाते हैं.
100 बम बनाने पर 20-30 हजार रुपये
इस्माइल नाम के एक शख्स ने कहा, 'हम अपनी जिंदगी को लेकर डरे हुए हैं, लेकिन हमें पैसे की जरूरत है. अगर हम 100 से 120 बम बनाते हैं तो हमें उसके लिए 20 से 30 हजार रुपये मिलते हैं. हमारे पास बंदूके, देशी बम और ऐसे तमाम हथियार हैं.'
कहां से आता है विस्फोटक?
बीते साल करीब 20 बार राजनीतिक हिंसा देख चुके नानूर में एक बार फिर हिंसा का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. बम बनाने वालों के पास जो सामान मौजूद है वह ज्यादातर पुलिस स्टेशनों से लूटा हुआ है या फिर ब्लैक मार्केट से खरीदा हुआ.
सरकार भी रहती है मौन
हर बार विपक्षी पार्टियां बीरभूम की बम फैक्ट्रियों का मुद्दा उठाती हैं, लेकिन यह सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह जाता है. सरकार और प्रशासन इस पर आंखें मूंदे हुए है.