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उत्तर प्रदेश में दो चरण का चुनाव शेष है. राज्य में चुनाव लड़ रही सभी राजनैतिक पार्टियां कमर तोड़ मेहनत कर रही हैं. एक के बाद एक रोड शो, चुनावी रैलियां और छोटी-छोटी बैठकों का दौर जारी है.
मैदान में उतरी सभी राजनैतिक पार्टियों के पास उनका सीएम चेहरा है वहीं बीजेपी यह चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है. यही वजह है कि हर कुछ दिन में बीजेपी के कोई न कोई नेता या तो खुद को राज्य का 'परफेक्ट सीएम’ बता देते हैं.
कयास यह भी लगाए जा रहे हैं खुद को सीएम बताने वाले या सीएम बनने की इच्छा रखने वाले ये नेता ही चुनाव में पार्टी की नैया डुबो सकते हैं.
योगी आदित्यनाथ.
इनका नाम इस लिस्ट में इसलिए लिया जा सकता है कि योगी जी दो दिन पहले तक खुद को यूपी का ’परफेक्ट सीएम' बता रहे थे. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने वो सारी खूबियां गिनवाईं जो एक सीएम में होनी चाहिए.
हालांकि बुधवार को लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजनीति उनके लिए सेवा है और जब तक मन लगेगा वो इसमें रहेंगे. इससे आगे बढ़ते हुए योगी ने एक अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि राजनाथ सिंह सीएम उम्मीदवार हैं. वो कभी इस रेस में थे ही नहीं.
योगी के इन पलट बयानों की वजह से राजनैतिक गलियारे में यह चर्चा गर्म हो गई है कि वो पार्टी नेतृत्व से किसी बात पर नाराज हैं. अगर ये कयास सही हैं तो चुनाव के वक्त योगी की नाराजगी बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.
राजनाथ सिंह
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पार्टी यूपी चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को अपना चेहरा बनाना चाह रही थी लेकिन राजनाथ सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए.
राजनाथ सिंह यूपी की राजनीति के पुराने माहिर खिलाड़ी रहे हैं. राजनाथ सिंह जानते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जो माहौल बीजेपी के लिए बना था वो अब नहीं है.
राजनाथ सिंह के करीबी कहते हैं कि बीजेपी के सांसदों के प्रति जनता में बहुत ज्यादा नाराजगी है और जिस जातिगत ढांचे पर पार्टी को खड़ा किया गया है वो दूसरी पार्टियों के सामने टिक नहीं पाएगा. कई बड़े वरिष्ठ नेता भी पार्टी के कई फैसलों से नाराज हैं ऐसे में चुनाव जीतना मुश्किल ही नहीं असंभव होगा.
वरुण गांधी
वरुण गांधी की पार्टी से नाराजगी जग जाहिर है और इसी वजह से पार्टी यूपी में अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट से वरुण को हटा दिया है. वरुण गांधी के करीबी 45 उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला है और ये सारे उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में डटे हुए.
जानकार मानते हैं कि इन सभी उम्मीदवारों की स्थिति मजबूत है और ये बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.