
दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी में अब उसके चुनाव चिह्न पर 'कब्जे' की जंग शुरू हो गई है. जंग इस बात की कि आखिर साइकिल की सवारी करेगा कौन? पिता मुलायम और बेटे अखिलेश गुट दोनों ही साइकिल चुनाव चिह्न पर दावा जता रहे हैं. दोनों ही गुट साइकिल पर अपनी दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग तक पहुंच गए हैं. अब सवाल ये है कि समाजवादी पार्टी किसकी होकर रहेगी? मुलायम की या अखिलेश की? पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस मसले पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. जानें EC के पास मसला जाने पर क्या-क्या हो सकता है...
- चुनाव आयोग को फैसले में 5 महीने का समय लग सकता है.
- चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह 'साइकिल' को फ्रीज कर दे. दोनों अलग-अलग चिह्नों से लड़ें.
- जब तक फैसला नहीं आ जाता, तब तक दोनों खेमों को समाजवादी मुलायम और समाजवादी अखिलेश के नाम से जाना जा सकता है.
- आयोग दोनों दलों की बात को सुनेगा, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन पहले गया.
- चुनाव आयोग में एक निर्धारित प्रक्रिया है, आयोग ये देखेगा कि कार्यकारिणी के कितने सदस्य या विधायक, सांसद और पार्टी के कितने उम्मीदवार किसके साथ हैं.
- चुनाव आयोग ही ये तय करेगा कि असली समाजवादी पार्टी कौन है.