
रविवार शाम यूपी की राजनीति में अब तक का सबसे बहुप्रतीक्षित फैसला आ ही गया. सपा-कांग्रेस ने एक साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की कर दी. गठबंधन की शर्तों के मुताबिक अब यूप में सपा 298 सीटों पर और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ही नहीं यह गठबंधन 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को भी ध्यान में रखकर किया गया है.
गठबंधन पर अन्य सियासी दलों की जो भी प्रतिक्रियाएं रही हों लेकिन यह साफ है कि गठबंधन के बाद दोनों दल (सपा और कांग्रेस) को कहीं न कहीं कुछ फायदा होगा तो कुछ नुकसान भी होगा. आइए देखते हैं कुछ ऐसे ही फायदे और नुकसान...
- मुस्लिम वोट बैंक होगा मजबूत
- सपा में विवाद के बाद कमजोर हुई छवि मजबूत होगी
- देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के साथ सीधे गठबंधन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को बढ़त
- पार्टी का वोट बैंक होगा और मजबूत
- चुनाव प्रचार में दिखेगा युवा जोश
- टीम होगी मजबूत
- राहुल-प्रियंका के समर्थक होंगे अखिलेश के साथ
- सवर्ण वोट पर भी सपा के खाते में
- बढ़ेगा वोट शेयर
- कांग्रेस को यूपी में संजीवनी, भविष्य में सपा के लिए खतरा
- मुस्लिम वोट हो सकता है कांग्रेस की ओर शिफ्ट
- कांग्रेस फिलहाल सपा को कुछ देने की अवस्था में नहीं
- साझा सरकार बनी तो कांग्रेस का रहेगा दबाव
- अखिलेश खुल कर नहीं कर पाएंगे काम
- बसपा का 'कमजोर सपा' का तर्क होगा और मजबूत
- कांग्रेस की खामियों के चलते बीजेपी-बीएसपी के निशाने पर होगी सपा
कांग्रेस को फायदा
- अखिलेश की छवि भुनाने का मौका
- वापस आ सकता है ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक
- ज्यादा सीटें आने की संभावना
- पार्टी होगी मजबूत
- खत्म हो सकता है 27 साल का वनवास, सरकार में हो सकती है वापसी
- सरकार में होने पर कुछ अपने एजेंडे भी लागू करवा सकती है कांग्रेस
- 2019 के लोकसभा चुनाव में भी होगा फायदा
कांग्रेस को नुकसान
- बीजेपी और बीएसपी के निशाने पर आएगी कांग्रेस
- कमजोर कांग्रेस की बनेगी छवि
- यूपी में और कमजोर होगा संगठन
- गठबंधन की सीटों के अलावा अन्य सीटों के कार्यकर्ता और नेता हो सकते हैं नाराज
- गिरेगा पार्टी कार्यकर्ता का मनोबल
- सवर्ण वोटर हो सकते हैं नाराज