Advertisement

मुलायम के करीबी अखिलेश से बागी, डगमगाएगी सपा की नाव

अखिलेश द्वारा टिकट न दिए जाने की वजह से सपा छोड़ रहे दलबदलू लगातार सपा को कमजोर करते जा रहे हैं. कभी मुलायम और शिवपाल के साथ सपा के लिेए लड़ाई लड़ने वाले नेता अब विरोधी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.

अखिलेश यादव अखिलेश यादव
संदीप कुमार सिंह
  • लखनऊ,
  • 30 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

सपा में अखिलेश युग की शुरुआत होते ही मुलायम के संगी-साथी एक-एक कर सपा छोड़ते जा रहे हैं. सीतापुर के दबंग नेता रामपाल यादव, बलिया के वरिष्ठ नेता अंबिका चौधरी, बेनी प्रसाद के बेटे राकेश वर्मा, कौएद नेता मुख्तार अंसरी और उनके भाई के बाद हाल ही में शिवपाल के करीबी नारद राय ने भी सपा छोड़ दी है. इसके अलावा अब खबरें आ रही हैं कि अखिलेश कैबिनेट में पूर्व मंत्री रहीं और शिवपाल-मुलायम की करीबी शादाब फातिमा भी बीएसपी ज्वाइन कर सकती हैं.

Advertisement

अखिलेश चुनाव की तैयारियों में जुटे
वहीं दूसरी ओर दल की इस समस्या से वाकिफ अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुके हैं. सपा इन चुनावों में 398 और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. रविवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अखिलेश यादव ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेस और रोड शो किया. रोड शो में भारी भीड़ देख उत्साही युवा जोड़ी ने 300 से भी ज्यादा सीट पर जीतने की बात कही. उम्मीद की जा रही है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन मिलकर चुनाव प्रचार भी करेगा.

दलबदलू कमजोर कर सकते हैं अखिलेश की रणनीति
अखिलेश द्वारा टिकट न दिए जाने की वजह से सपा छोड़ रहे दलबदलू लगातार सपा को कमजोर करते जा रहे हैं. कभी मुलायम और शिवपाल के साथ सपा के लिेए लड़ाई लड़ने वाले नेता अब विरोधी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में अखिलेश को बड़ी कठिनाई से दो-चार होना पड़ रहा है. पश्चिमी यूपी और बुंदलेखंड में गठबंधन के बाद सपा की जो स्थिति बेहतर हुई है वहीं मध्य यूपी में स्थिति कमजोर होती जा रही है.

Advertisement

मुलायम ने भी दिया बड़ा झटका
सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद समाजवादी नेता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक बार फिर नाराज हो गए हैं. उनके मुताबिक सपा नेता अकेले लड़कर भी विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल कर सकते थे. मुलायम मानते हैं कि सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन गलत है. जिसके चलते वे अब सपा के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे.

क्या होगा परिणाम
मुलायम अगर सपा के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे तो सपा के वोटर और कार्यकर्ताओं में एक बार फिर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी. सपा के अधिकतर वोटर और कार्यकर्ता नेताजी से भावनात्मक रिश्ता रखते हैं. प्रचार अभियान से उनकी दूरी अखिलेश और सपा दोनों के लिए हानिकारक हो सकती है.

मुस्लिम वोट रोक पाना बड़ी मुसीबत
मुख्तार अंसारी सपा से अलग हो चुके हैं. बाहुबली नेता अतीक अहमद को अखिलेश ने टिकट नहीं दिया. एमएलसी आशु मलिक की सुरक्षा में लगी जेड सिक्योरिटी हटवा ली. अब शादाब फातिमा के भी पार्टी छोड़ने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में मुस्लिम वोट रोक कर रख पाना सपा के लिए बड़ी मुसीबत है. शायद यही वजह है कि सपा को कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह पकड़नी पड़ी.

ये भी है समस्या
सपा सबसे ज्यादा मजबूत यूपी के मध्य क्षेत्र में ही है. वहीं सपा दो खेमों में बंटी हुई है. इसी क्षेत्र में यादव परिवार का गृहनगर इटावा भी आता है. इस क्षेत्र में शिवपाल यादव को हाशिए पर किए जाने को लेकर सपा कार्यकर्ताओं में रोष है. इन विधानसभा चुनावों में सपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष की सबसे बड़ी चुनौती भितरघात से लड़ना ही होगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement