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गुरुवार को जारी एग्जिट पोल के आंकड़ों के बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने संकेत दिया कि अगर परिणामों के बाद जरूरत पड़ी तो वे बीएसपी के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 11 मार्च का चुनावी नतीजा उनके पक्ष में आएगा. गठबंधन के सवाल पर अखिलेश ने पहली बार माना कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को साथ लाने में राहुल और प्रियंका दोनों की भूमिका रही.
बीबीसी की तरफ से जब अखिलेश से सवाल पूछा गया कि बहुमत न मिलने पर सपा की अगली रणनीति क्या होगी? इस सवाल पर अखिलेश यादव का कहना था, "अगर सरकार के लिए जरूरत पड़ेगी तो राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा. हम नहीं चाहते कि यूपी को बीजेपी रिमोट कंट्रोल से चलाए."
चुनाव से पहले ही पारिवारिक कलह और नेताजी की नाराजगी के सवाल पर अखिलेश ने जवाब दिया, "नेताजी का जहां मन किया वहां प्रचार करने गए. हमने उनसे कुछ नहीं कहा."
अखिलेश से जब उनकी सौतेली मां साधना गुप्ता के ताजा बयान से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जो राजनीति में आना चाहेगा उसे कौन रोकेगा. राजनीति में सभी को आना चाहिए."
कांग्रेस संग गंठबंधन पर अखिलेश ने कहा, "राहुल भी चाहते हैं कि प्रदेश का विकास हो. मैं राहुल गांधी को पहले से ही जानता हूं. हमने एक संदेश दिया कि जो धर्मनिरपेक्ष सरकार चाहते हैं जो विकास के लिए सरकार चाहते हैं इसलिए कांग्रेस का साथ दिया. मैं कंजूस के साथ दोस्ती नहीं करता."
नरेश अग्रवाल ने दी सफाई
अखिलेश के बयान पर सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा, "अखिलेश जी ने बीएसपी या बहनजी का नाम नहीं लिया है. उनका उद्देश्य सांप्रदायिक ताकतों को राज्य से बाहर रखने का है."
रिजल्ट से पहले अखिलेश कैंप में बेचैनी!
समाजवादी पार्टी के पुराने नेता रविदास महरोत्रा के मुताबिक सपा के लिए कांग्रेस हानिकारक रही. अगर कांग्रेस से गठबंधन न होता तो सपा और सीटें जीत पाती. वहीं दूसरी ओर सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर समाजवादी पार्टी हारेगी तो अखिलेश दोषी नहीं होंगे. इन दोनों नेताओं के ताजा बयानों पर गौर करें तो ऐसा लग रहा है कि सपा ने यूपी में रिजल्ट आने से पहले ही हार स्वीकार कर ली है.
आपको याद दिला दें कि यूपी में समाजवादी पार्टी 288 और कांग्रेस 105 सीटों पर गठबंधन के तहत लड़ रही है