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Movie Review: प्यार का जादू नहीं चला पाई 'मिर्जिया'

'मिर्जिया' में ओमप्रकाश मेहरा ने आखिरकार बरसों से चली आ रही 'मिर्जा साहिबान' की कहानी को पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म...

'मिर्जिया' में हर्षवर्धन कपूर और सैयमी खेर 'मिर्जिया' में हर्षवर्धन कपूर और सैयमी खेर
स्वाति गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:50 PM IST

फिल्म का नाम: मिर्जिया
डायरेक्टर: राकेश ओमप्रकाश मेहरा
स्टार कास्ट: हर्षवर्धन कपूर, सैयमी खेर , के के रैना, ओम पुरी
अवधि: 2 घंटा 9 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 1.5 स्टार

'रंग दे बसंती' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी सुपर हिट साथ ही साथ 'दिल्ली 6' और 'अक्स' जैसी औसत फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने आखिरकार बरसों से चली आ रही 'मिर्जा साहिबान' की कहानी को अपने हिसाब से पर्दे पर पेश करने की कोशिश है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म...

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कहानी:
फिल्म की कहानी मिर्जा (हर्षवर्धन कपूर) और साहिबान (सैयमी खेर) के प्यार और उसके पीछे आने वाली कठिनाइयों की तरफ ध्यान आकर्षित करती है. इसीके साथ एक और कहानी चल रही है मुनीष (हर्षवर्धन कपूर) और सुचित्रा (सैयमी खेर) की. दोनों कहानियों में समानता तो है लेकिन दोनों का अंजाम अलग-अलग होता है. जहां पुरानी कहानी में साहिबान खुद मिर्जा के तीर तोड़ देती है वहीं, आज की कहानी में कुछ अलग होता है. और तीर तोड़ने के पीछे का कारण भी सामने आता है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

5 पॉइंट्स में जानें कि ये फिल्म क्यों देख सकते हैं:

1. फिल्म की शूटिंग, लोकेशंस और फिल्मांकन कमाल का है, सिनेमेटोग्राफी लाजवाब है और काफी अच्छे सीन सामने नजर आते हैं.

2. अगर आपको मिर्जा साहिबान की कहानी के बारे में नहीं पता है तो आप इस फिल्म से उसका अंदाजा लगा सकते हैं.

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3. गुलजार के लिखे हुए गीत और उस पर शंकर एहसान लॉय का संगीत, साथ ही साथ अलग अलग सिंगर्स की आवाज का अच्छा संगम किया गया है जो फिल्म में दिखाई पड़ता है.

4. फिल्म में कुछ सीक्वेंस जैसे घुड़सवारी और तीरंदाजी को बहुत ही सटीक तरीके से पेश किया गया है.

5. पहली फिल्म होने के बावजूद दोनों एक्टर्स हर्षवर्धन कपू और सैयमी खेर को देखकर नहीं लगता कि ये उनकी डेब्यू फिल्म है. दोनों ने बखूबी अभिनय किया है या कह सकते हैं राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने करवाया है.

कमजोर कड़ी:
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी कहानी है. 'रंग दे बसंती' में राकेश ने दो कहानियों को एक ही समय पर दिखाया था जो कि एकदम सटीक बैठी थी. लेकिन इस बार फिल्मांकन में वो बात नजर नहीं आती. विजुअल ट्रीट तो है लेकिन कहानी एक वक्त के बाद बोर करने लगती है. स्क्रीनप्ले और बेहतर हो सकता था. फिल्म के मिजाज के हिसाब से एक खास तरह की ऑडिएंस ही इसे पसंद कर पाएगी. राकेश मेहरा दिशा से एक बार फिर भटके हुये नजर आते हैं.

बॉक्स ऑफिस:
फिल्म को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने सिनेस्तान स्टूडियोज के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है जिसकी लागत लगभग 46 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. इसमें बजट 36 करोड़ का और 10 करोड़ रुपये फिल्म के प्रोमोशंस में खर्च किये जाने की खबर है. अब देखना ये होगा कि लगभग 1900 स्क्रीन्स में रिलीज होने जा रही इस फिल्म को कितना मुनाफा होता है. ट्रेड पंडितों की मानें तो फिल्म को नॉर्थ इंडिया में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है.

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