बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई सारे कलाकार ऐसे रहे हैं जिन्हें लीड रोल करने का स्कोप कम मिला. मगर उन्होंने कैरेक्टर रोल्स की मदद से इंडस्ट्री में भी जगह बनाई और लोगों के दिलों में भी. पहले के समय में लीड एक्टर्स को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता था. क्योंकि वे किसी एक स्टीरियोटाइप का हिस्सा बन जाते थे और उस स्पेसिफिक किस्म के रोल में खुद को सेटल कर लेते थे. मगर एक चरित्र कलाकार के लिए इंडस्ट्री में पांव जमा पाना इतना भी आसान नहीं होता था. उन्हें कई अलग-अलग किरदारों को नएपन के साथ निभाने की चुनौती होती थी. उस चुनौती को दिग्गज एक्ट्रेस शशिकला ने बेखूबी निभाया.
दुर्भाग्यवश 88 साल की उम्र में शशिकला का निधन हो गया है. उनकी याद में रुख कर रहे हैं एक्ट्रेस के फिल्मी सफर का जहां हम उनकी कुछ शानदार फल्मों और विविध किरदारों से आपको रूबरू कराएंगे.
एक्ट्रेस का जन्म 4 अगस्त, 1932 को बॉम्बे के सोलापुर में हुआ था. एक्ट्रेस ने साल 1936 में बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. साल 1945 को फिल्म जीनत में वे एक कव्वाली सिंगर की भूमिका में नजर आईं. इसके बाद कुछ फिल्मों में वे चाइल्ड आर्टिस्ट के रोल में नजर आईं.
साल 1950 की फिल्म आरजू में मात्र 18 साल की उम्र में वे सेकंड लीड रोल में नजर आईं. उनके किरदार का नाम कमला था और फिल्म में लीड रोल दिलीप कुमार और कामिनी कौशल का था.
इसके बाद कुछ फिल्मों में एक्ट्रेस ने सहकलाकार की भूमिका निभाई मगर उनकी फिल्मों ने ना तो कुछ खास कमाई की नाहीं शशिकला के रोल को खास आकर्षण मिला. इसे देखते हुए एक्ट्रेस ने 50s की शुरुआत में निगेटिव शेड्स के रोल करने शुरू कर दिये.
साल 1957 में आई देव आनंद की फिल्म नौ दो ग्यारह में शशिकला ने पहली बार निकेटिव रोल प्ले किया. फिल्म तो खूब चली ही साथ में शशिकला के करियर की गाड़ी भी चल पड़ी. फिल्म में उनके द्वारा निभाए गए नीता के किरदार को काफी पसंद किया गया. इसके बाद तो उनके पास कई सारे निगेटिव रोल्स के ऑफर आने लगे. शम्मी कपूर की फिल्म छोटे सरकार में भी वे नकारात्मक किरदार में ही नजर आई थीं.
वे 100 से ज्यादा फिल्मों में नजर आई हैं. इसमें आई मिलन की बेला, अनुपमा, फूल और पत्थर, वक्त और गुमराह जैसी फिल्में शामिल हैं. एक्ट्रेस ने देव आनंद, दिलीप कुमार, बलराज साहनी, ओम प्रकाश, जीवन, शम्मी कपूर और आशोक कुमार जैसे स्टार्स संग नजर आईं.
बॉलीवुड फिल्मों में तो वे पिछले डेढ़ दशकों से नजर नहीं आई थीं. साल 2001 में कभी खुशी कभी गम, साल 2003 में झनकार बीट्स, चोरी चोरी, और साल 2004 में वे मुझसे शादी करोगी फिल्म का हिस्सा थीं. एक्ट्रेस ने टीवी की दुनिया में भी शानदार काम किया.
वे सोनी के सीरियल जीना इसी का नाम है, जी टीवी के सीरियल अपनापन और सब टीवी के सीरियल सोन परी में नजर आईं. उन्हें शानदार अभिनय के लिए 2 बार श्रेष्ठ सहकलाकार की श्रेणी में फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया. इसके अलावा उन्हें भारत सरकार द्वारा साल 2007 में पद्मश्री सम्मान भी मिला.
88 साल की उम्र में इंडस्ट्री की इस दिग्गज अदाकार ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. मगर अपने वर्सेटाइल और शार्प कैरेक्टर्स के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.