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लॉकडाउन में दिल्ली रवाना हुईं राधिका मदान, बोलीं- मैं आ रही हूं मां

राधिका पिछले कुछ वक्त से अपनी मां को बहुत मिस कर रही थीं और उन्होंने इंस्टाग्राम पर खुद की लिखी हुई कुछ लाइनें शेयर की थीं जिन्हें काफी पसंद किया गया था. अब वह फ्लाइट से दिल्ली अपनी मां के पास रवाना हो गई हैं.

राधिका मदान राधिका मदान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

लॉकडाउन घोषित किया गया तो करोड़ों लोग जहां थे वहीं फंस गए. एक चुटकी में सड़क, रेल और हवाई यातायात रोक दिया गया और लोगों से अपने घरों में बंद रहने की अपील की गई. मुंबई में ऐसे तमाम कलाकार थे जो वहीं के वहीं फंसे रह गए. अब न तो फिल्मों की शूटिंग चल रही थी और न ही सिनेमा जगत का कोई और काम. लेकिन बावजूद इसके घरों में बंद रहना कलाकारों के लिए मजबूरी बन गई. राधिका मदान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

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हालांकि अब क्योंकि सरकार ने घरेलू फ्लाइट्स को उड़ने की अनुमति दे दी है तो राधिका मदान ने फौरन टिकट बुक की और मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं. लॉकडाउन में अपने घर के लिए रवाना हुईं अंग्रेजी मीडियम एक्ट्रेस राधिका मदान काफी इमोशनल नजर आईं. उन्होंने एयरपोर्ट से अपनी एक तस्वीर शेयर की है जिसमें राधिका चेहरे पर मास्क पहने, फेस शील्ड लगाए और बड़े-बड़े ग्लव्स पहने नजर आ रही हैं.

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सफेद कुर्ती में राधिका को पहचान पाना जरा मुश्किल है क्योंकि उनका आधे से ज्यादा चेहरा ढंका हुआ है. राधिका ने तस्वीर को इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा, " मैं आ रही हूं मां." बता दें कि राधिका मदान द्वारा लिखा गया ये डायलॉग ऋतिक रोशन की फिल्म कृष 3 की याद दिला देता है जिसमें रोहित हालात बिगड़ जाने पर अपनी मां (रेखा) को फोन करते हैं और परेशानी भरी आवाज में उनसे कहते हैं कि मैं आ रहा हूं मां... मैं आ रहा हूं.

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बता दें कि राधिका पिछले कुछ वक्त से अपनी मां को बहुत मिस कर रही थीं और उन्होंने इंस्टाग्राम पर खुद की लिखी हुई कुछ लाइनें शेयर की थीं जिन्हें काफी पसंद किया गया था. राधिका ने लिखा-

मां के लिए लिखी थी ये कविता

तेरा मेरी आँखों को ओढ़कर रोना

भागती नींदो में ठहर के सोना

गहरी साँसों में कपकपाती मेरे नाम की खुशबू

बड़बड़ाते वादों में किसी डर का खोना

उन रूठे अरमानो को तस्सली से मनाना

रोई अकेली चोटों को समझती हुई बाँहों में दफ़नाना

तेरी रूह का मेरी नसों में बेझिझक घुलना

लेटे लेटे उंगली से मेरे हाथों की लकीरे बदलना

खुद को खो कर तुझे पाने का वो अपनापन

वो तेरे मेरे बीच के फ़रक का धुंधलापन

जाने के बाद भी मेरे पास रह जाने की तेरी वफ़ाई

प्यार को पहले निभाने की वो सुलझी हुई सी लड़ाई

इस पढ़ी लिखी दुनिया को तेरा पाक इश्क़ गवार

मेरी नौसिखी सी शायरी में बस तेरा नाम गुलज़ार . .

-राधिका

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