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FTII छात्रों के खुले खत पर अनुपम खेर बोले, हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार

एफटीआईआई के छात्रों ने गुरुवार को खेर के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने प्रतिष्ठित अभिनय स्कूल द्वारा शुरू किए गए कम-अवधि वाले कुछ पाठ्यक्रमों के खिलाफ आवाज उठाई और उनका ध्यान कुछ अन्य मुद्दों पर भी खींचा जिनका उन्हें सामना करना पड़ता है.

अनुपम खेर (फाइल) अनुपम खेर (फाइल)
BHASHA
  • मुंबई,
  • 13 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के नव-नियुक्त अध्यक्ष अनुपम खेर ने कहा है कि वह छात्रों की समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. इन मुद्दों और समस्याओं का जिक्र छात्रों ने खेर को लिखे खुले पत्र में किया है.

खेर (62) को बुधवार को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत आने वाले पुणे के स्वायत्त संस्थान एफटीआईआई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

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एफटीआईआई के छात्रों ने गुरुवार को खेर के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने प्रतिष्ठित अभिनय स्कूल द्वारा शुरू किए गए कम-अवधि वाले कुछ पाठ्यक्रमों के खिलाफ आवाज उठाई और उनका ध्यान कुछ अन्य मुद्दों पर भी खींचा जिनका उन्हें सामना करना पड़ता है.

पत्र में कहा गया कि एफटीटीआई की स्थापना फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं की शिक्षा देने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे एक ऐसा संस्थान बनता जा रहा है जो “धन जुटाने” के लिए कम-अवधि के ‘क्रैश कोर्स’ चलाता है.

खेर ने कहा, “मुझे जो भी चर्चा करनी होगी, मैं वहां जाकर छात्रों के साथ चर्चा करना पसंद करूंगा. मैं उनके सीनियर की तरह हूं. मैं वर्ष 1978 में वहां छात्र था और अब 38 साल बाद मैं वहां अध्यक्ष के तौर पर जा रहा हूं.”

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उन्होंने कहा, “आजकल के युवा किसी अभिनेता को और मेरे जैसे व्यक्तित्व को बहुत कुछ सिखा सकते हैं. हम साथ बैठेंगे, हम इसके बारे में बात करेंगे और इस महान संस्थान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.” खेर यहां जियो मामी 19वें मुंबई फिल्म उत्सव से इतर बोल रहे थे.

एफटीआईआई छात्र संघ (एफएसए) के अध्यक्ष रॉबिन जॉय और महासचिव रोहित कुमार द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में कहा गया, “हमारा मानना है कि (एफटीआईआई द्वारा) चलाए जा रहे कम-अवधि वाले पाठ्यक्रम इतने कम समय में फिल्म निर्माण की शिक्षा उपलब्ध नहीं करा सकते.” पत्र में ढांचागत निर्माण, नए पाठ्यक्रम, कुछ कार्यक्रमों पर की जाने वाली फिजूलखर्ची के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं.

इससे पहले छात्र संघ ने उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए थे और आरोप लगाए थे कि वह अपना भी एक अभिनय स्कूल चलाते हैं, ऐसे में ‘हितों का टकराव’ हो सकता है.

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