
बॉलीवुड के दिग्ग्ज फिल्ममेकर बलदेव राज चोपड़ा (बी.आर. चोपड़ा) का नाम उन हस्तियों में शुमार है जिन्होंने हिंदी सिनेमा को एक नए मुकाम पर पहुंचाया. बी आर चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा को न जाने कितनी ब्लॉकबस्टर हिट फिल्में और टीवी शोज दिए. लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है. बी आर चोपड़ा न सिर्फ एक कमाल के सिनेमेटोग्राफर थे बल्कि एक गजब के इंसान भी थे. उनकी फिल्मों ने अगर लोगों का मनोरंजन किया तो उन्हें जिंदगी की वो सीख भी दी जो कहीं न कहीं बहुत जरूरी थी.
जर्नलिस्ट से फिल्ममेकर बने बी आर चोपड़ा
बी आर चोपड़ा का जन्म 22 अप्रैल 1914 को लुधियाना में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई पाकिस्तान की लुधियाना यूनिवर्सिटी से की. बी आर चोपड़ा ने अंग्रेजी में एमए की डिग्री ली थी. सन 1947 में बी आर चोपड़ा पहले लाहौर छोड़कर दिल्ली आए और फिर वहां से बॉम्बे. बी आर चोपड़ा 1944 में सबसे पहले जब उभरकर सामने आए तो लोग उन्हें एक फिल्म जर्नलिस्ट के तौर पर जानते थे. भले ही वह जर्नलिज्म के क्षेत्र में थे लेकिन हमेशा उनके दिल में ये ख्वाब पलता रहता था कि वह भी एक रोज फिल्ममेकर बनेंगे.
किसे मालूम था कि एक रोज फिल्म जर्नलिज्म करने वाला ये शख्स नया दौर और गुमराह जैसी सुपरहिट फिल्में बनाएगा. उनके बारे में एक किस्सा बड़ा मशहूर है. बात तब की है जब उनके करियर का ग्राफ काफी तेजी से ऊपर जा रहा था. कहते हैं कि एक विदेशी फिल्ममेकर ने बीआर चोपड़ा के सामने बॉलीवुड का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम हिंदी सिनेमा वाले सिनेमा के नाम पर सिर्फ नाच गाना दिखाते हो. अगर तुम्हारी फिल्मों में गाने नहीं हों तो कौन आ रहा है तुम्हारी फिल्म देखने.
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इस बात को बी.आर. चोपड़ा ने बतौर चैलेंज लिया था और एक कोर्टरूम ड्रामा फिल्म बनाई जिसका नाम था कानून. इस फिल्म में एक भी गाना नहीं था और ये ब्लॉकबस्टर हिट रही थी. उन्होंने बागबान और बाबुल जैसी फिल्में बनाईं जो वक्त के साथ बदलते समाज की एक छवि थी. उन्होंने महाभारत जैसा टीवी सीरियल उस दौर में बनाया जब लोग उनके यूं अचानक टीवी के क्षेत्र में आने पर सवाल उठा रहे थे. उनका ये शो ऐतिहासिक साबित हुआ.