
इंडिया टुडे माइंडरॉक्स के अहम सेशन दि नॉट सो ईडिएट बॉक्स का थीम था कि कैसे टेलीविजन को एक इंटेलीजेंट युवा के लिए इंटेलीजेंट बनाया जा सकता है. (इंटेलीजेंट टेलीविजन फॉर इंटेलीजेंट यूथ) इस सत्र में एक्टर विवेक ओबरॉय, तनुज विरवानी और एक्ट्रेस निधी सिंह ने शिरकत की. सत्र का संचालन इंडिया टुडे के डिप्टी एडीटर सुशांत मेहता ने किया.
‘डिजिटल’माध्यम एंटरटेनमेंट की दुनिया में तेजी से फिल्म और थियेटर की जगह ले रहा है. बड़ा-छोटा बॉलीवुड कलाकार न सिर्फ बड़ी स्क्रीन को छोड़कर छोटी स्क्रीन पर पहुंच रहा है, बल्कि उनकी कोशिश डिजिटल के साथ-साथ सोशल मीडियम पर पकड़ बनाने की है.
विवेक ओबरॉय ने कहा कि देश की 125 करोड़ जनता में सिर्फ 2.5 करोड़ लोग थियेटर में जाकर फिल्म देखते हैं. वहीं मोबाइल और सोशल मीडिया के सहारे 50 से 60 करोड़ लोगों तक पहुंच बन रही है. एक्टर तनुज विरवानी ने कहा कि डिजिटल मीडियम टेलिवीजन और थियेटर से अलग इसलिए भी हैं क्योंकि डिजिटल मीडियम में कलाकार और दर्शक के बीच कोई नहीं है. यहां दर्शक किसी वेब सीरीज को देखने के लिए इतना बेसब्र रहता है कि वह एक बार में 8-10 एपीसोड की सीरीज देख लेता है.
तनुज का मानना है कि वेब सीरीज में काम करना एक कलाकार के लिए फिल्म और टेलिविजन के मुकाबले ज्यादा अच्छा है. कलाकार को वेब सीरीज में काम करने के लिए अपने किरदार में लंबे समय तक रहने का मौका मिलता है. वह अपने कैरेटर को पर्याप्त समय दे पाता है, जिससे उसकी एक्टिंग में समय के साथ अच्छा सुधार भी देखने को मिलता है.
डिजिटल मीडियम में सेंसर बोर्ड की जगह नहीं
विवेक ओबरॉय ने कहा कि डिजिटल का सबसे बड़ा फायदा है कि यहां बन रहे प्रोग्राम्स को सेंसर बोर्ड का सामना नहीं करना पड़ता. विवेक ने दरअसल मौजूदा समय की फिल्ममेकिंग में सेंसर बोर्ड की कोई भूमिका नहीं है. विवेक ने कहा कि डिजिटल की दुनिया में सेंसर बोर्ड डायनासोर हैं. बस उन्हें फिल्मों में भी खत्म करने की जरूरत है.